Saturday, January 29, 2011

मैंने यह ब्लाग ‘ओपन यूनिवर्सिटी फ़ॉर हिंदी ब्लागर्स‘ के तौर पर शुरू किया है Open university for blogging

आजकल अख़बारों में ब्लाग का बड़ा चर्चा है। कम्प्यूटर के बढ़ते चलन के साथ-साथ ब्लागिंग का रूझान बढ़ता ही जा रहा है और आने वाले समय में विचार अभिव्यक्ति का यह एक सशक्त माध्यम बनकर उभरेगा। भविष्य में कुछ ब्लाग्स बाक़ायदा ई प़ित्रका का रूप धारण कर लेंगे, जिनमें कई कर्मचारियों का स्टाफ़ कार्यरत होगा। इन बड़े ब्लाग्स में से एक ब्लाग आपका भी हो। हम यही कामना करते हैं।
आपके लिए शुभकामना करना ही काफ़ी नहीं है बल्कि आपका मार्गदर्शन भी ज़रूरी है ताकि आप उस रास्ते पर चलकर एक सफ़ल ब्लागर बन सकें, हर तरफ़ आपके ब्लाग के चर्चे हों जैसे कि आज मेरे चर्चे हैं। आज की तारीख़ में मेरे 15 ब्लाग्स ‘हमारी वाणी‘ पर पंजीकृत हैं। इतने ब्लाग किसी भी ब्लागर के ‘हमारी वाणी‘ पर पंजीकृत नहीं हैं और न ही किसी अन्य एग्रीगेटर पर ही पंजीकृत हैं। इस बड़ेपन तक पहुंचने में मुझे जो दिक्कतें और दुश्मनियां उठानी पड़ीं, खुदा न करे वह सब आपको कभी पेश आए। आपकी सुविधा के लिए मैंने यह ब्लाग ‘ओपन यूनिवर्सिटी फ़ॉर हिंदी ब्लागर्स‘ के तौर पर शुरू किया है। इसमें ब्लागिंग का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
जिस प्रकार किंडर गार्टन विधि से बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है, ठीक ऐसे ही यहां भी ब्लागिंग के प्रशिक्षण को रोचक बनाने के लिए हास-परिहास और व्यंग्य आदि को शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य मात्र बड़े ब्लागर्स की शैली को नवोदित ब्लागर्स के सामने लाकर उन्हें प्रेरित करना भर होगा न कि किसी का अपमान आदि करना। यदि फिर भी किसी को कोई बात बुरी लगती है तो उसके बताने पर उसे सुधार लिया जाएगा।
हास-परिहास का सिलसिला शुरू करने से पहले ज़रूरी है कि पहले कुछ उपयोगी पोस्ट्स को आप गंभीरतापूर्वक पढ़ लें। अब ये पोस्ट्स आपके सामने पेश की जाएँगी , इंशा अल्लाह .

Friday, January 14, 2011

बड़ा ब्लागर कैसे बनें ? To be a big blogger

दोस्तो ! बड़ा नाम तो मालिक का है लेकिन उसके बंदों के मन में भी बड़ा काम करने की और बड़ा आदमी बनने की तमन्ना अंगड़ाईयां लेती रहती है। जब एक लेखक ब्लागर बनता है तो वह भी बड़ा ब्लागर बनना चाहता है लेकिन यहां कोई नहीं है जो बता सके कि कोई आदमी बड़ा ब्लागर कैसे बन सकता है ?
मैंने अपने ब्लागिंग के अनुभव को यहां आपके साथ शेयर करने का इरादा किया है और इसे हास-परिहास और व्यंग्य का रंग दिया है ताकि पाठकों के लिए रोचकता बनी रहे।
किसी भी ज़िंदा या मुर्दा व्यक्ति से इसकी घटनाएं अगर मिलती हैं तो उसे हरगिज़ संयोगवश न माना जाए बल्कि एक यथार्थ ही समझा जाए।
अब जल्दी ही आपके सामने एक धारावाहिक पेश किया जाएगा।
इंशा अल्लाह !