Wednesday, March 30, 2011

अगर आपके पास माँ है तो आप एक सफल ब्लॉगर बन सकते हैं According to Deewaar (एक चुटीली क्लास)

http://pyarimaan.blogspot.com/2011/03/mother-urdu-poetry-part-2.html
आप एक बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उन्हें देखना होगा जो कि आपसे पहले बड़ा ब्लॉगर बन चुके हैं। आपको यह स्टडी करनी होगा कि वे किन चीज़ों या किन गुणों के बल पर बड़े ब्लॉगर बने हैं ?
आप पाएंगे कि इस आभासी दुनिया में भी वे ही सब चीज़े आदमी को बड़ा बनाती हैं जो कि सचमुच की दुनिया में आदमी का क़द ऊँचा करती हैं। कुछ लोग दौलत के बल पर बड़ाई के दावेदार होते हैं जबकि कुछ सच्चाई और नेकी के बल पर सचमुच में बड़े बनते हैं। आज के दौर में दौलतमंद बनने के लिए इंसान को ईमानदारी और इंसानियत की बलि प्रायः देनी पड़ती है। इंसानियत से गिरने के बाद जब आदमी खुद अपनी ही नज़र में गिर चुका होता है तब वह दुनिया की नज़र में ऊँचा उठने की कोशिशें करता है। इन्हीं कोशिशों में वह अपने बच्चों की महंगी शादियाँ ऊँचे होटलों में करता है, जहाँ वे शराब पीकर बदमस्त होकर नाचते हैं और उस वक्त ग़रीब बच्चे अपने सिरों पर रौशनी के हन्डे उठाए उनकी हराम की दौलत का नंगा नाच देख रहे होते हैं।
ब्लॉगर मीट भी इसी तर्ज़ का एक प्रोग्राम होता है जिसमें हज़ारों रूपये का ख़र्च आता है, जिसे उठाना हरेक के बस की बात नहीं होती। जो कोई व्यक्ति या गुट इसका ख़र्च उठाता है वह खुद ब खुद उन ब्लॉगर्स का माई बाप बन जाता है जो वहाँ बिना कुछ दिए ही मुफ़्त में नाश्ता भंभोड़ रहे होते हैं। जो आपको नाश्ता कराता है वह खुद को बड़ा बनाता है और आपको छोटा। अगर आप बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो आपको भी एक बड़ी ब्लॉगर मीट करनी होगी और मात्र एक मीट आयोजित करते ही आप एकदम बड़े ब्लॉगर मान लिए जाएंगे और आपकी बेकार पोस्ट पर भी ढेर सारी टिप्पणियाँ आने लगेंगी।

आप देखेंगे कि बड़े ब्लॉगर्स के पास कुछ ख़ास ज़रूर होता है जैसे कि कोठी, कार और कुत्ते।
फ़िल्म में विलेन के पास भी यही सब होता है। फ़िल्म विलेन से ही चलती है। विलेन की कोठी जितनी बड़ी होती है और उसके पालतू जितने ज़्यादा होते हैं वह उतना ही बड़ा विलेन होता है। बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए भी आपको इन्हीं सब चीज़ों की दरकार है। कैसे भी आप कार, कोठी और कुत्ते जुटा लीजिए, डैफ़िनिटली आप एक बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।

अगर आप ये दोनों काम करने की हैसियत नहीं रखते तब भी कोई बात नहीं है। हम आपको तब भी बड़ा ब्लॉगर बनने का एक सूत्र बता सकते हैं।
याद कीजिए सलीम-जावेद लिखित फ़िल्म ‘दीवार‘ के उस सीन को जिसमें अमिताभ बच्चन शशि कपूर से कहता है कि ‘मेरे पास दौलत है, कोठी है, कार है, तुम्हारे पास क्या है ?‘
शशि कपूर कहता है ‘मेरे पास माँ है।‘
बस यही एक डायलॉग अमिताभ बच्चन जैस सुपर स्टार के घुटने तोड़ देता है और फिर उसकी मौत बता देती है कि उसका रास्ता ग़लत था। आप भी दीवार पर चढ़ जाइए और देखिए कि बड़े ब्लॉगर के पास चाहे कोठी, कार और कुत्ते भले ही हों लेकिन उनके पास माँ नहीं होगी। आपके पास माँ है तो आप एक सफल ब्लॉगर बन सकते हैं। यह मेरे अनुभव से सिद्ध है इसलिए यह सत्य है और व्यंग्य तो ख़ैर यह है ही। 

Friday, March 11, 2011

चिंता कीजिए और बड़ा ब्लॉगर बन जाइए , है न कितना आसान तरीक़ा ? (हास परिहास और व्यंग्य से भरपूर एक चटख़ारेदार Spicy Class)

बड़े चिंतित रहते हैं और बच्चे बेफ़िक्र , घर में भी और ब्लॉग जगत में भी। छोटे ब्लॉगर की ख़ास पहचान यही है कि वह आपको निश्चिंत मिलेगा और बड़े ब्लॉगर्स को आप चिंतातुर पाएंगे।
आप देखेंगे कि बड़े ब्लॉगर चिंतित हैं कि
1. कहीं भविष्य में ब्लॉगर्स की आज़ादी न छीन ली जाए ?
2. लोग मान मनुहार क्यों नहीं कर रहे हैं आजकल ?
3. अमुक ब्लॉगर का 'दूसरा मक़सद' क्या हो सकता है ?
4. सामूहिक ब्लॉग्स पर एक लेख एक साथ क्यों डाला जाता है ?
5. ब्लॉगवाणी अगर बंद है तो इसे चालू कैसे कराएं ?
6. हमारी वाणी अगर ठीक ठाक चल रही है तो इसे बंद कैसे कराएं ?
7. ब्लॉगर्स अगर आपस में कहीं भिड़े हुए हैं तो इनमें मेल मिलाप कैसे कराएँ ?
8. ब्लॉगर्स अगर मिलकर समूह में साझा ब्लॉग्स चला रहे हैं तो इन्हें एलियंस का चंडूख़ाना कहकर हतोत्साहित कैसे किया जाए ?
9. क्यों न सामूहिक ब्लॉग्स की सदस्यता कैंसिल कर दी जाए ?
10. हिंदी ब्लॉगर्स की संख्या कैसे बढ़ाई जाए ? , नए ब्लॉगर्स को कैसे मैदान में लाया जाए ?
11. पुराने ब्लॉगर्स का बहिष्कार करके उनका मनोबल कैसे तोड़ा जाए ?
12. इन्हें अपनी चापलूसी और ख़ुशामद में टिप्पणियाँ देने की आदत कैसे डाली जाए ?
13. लोग सौजन्यतावश टिप्पणियाँ क्यों करते हैं ?
14. हिंदी ब्लॉगिंग को परिवर्तन का माध्यम कैसे बनाया जाए ?
15. अरे ! ब्लॉगिंग के ज़रिए वह तो सबका मन और मत सभी कुछ बदल डालेगा क्या ?
16. मेरी चौधराहट को लोग आख़िर मानते क्यों नहीं ?

इसी तरह की कई दर्जन चिंताएं जिनके ब्लॉग पर आपको चिताओं की तरह रौशन नज़र आएं , उस श्मशान को आप बेहिचक एक बड़ा ब्लॉग समझ सकते हैं। उनके ब्लॉग को स्टडी करने के बाद आप भी कई तरह की चिंताएं व्यक्त करना सीख सकते हैं । ऐसा करते ही आपकी गिनती ब्लॉग जगत के बड़े चिंतकों में होने लगेगी, बिना कोई रचनात्मक काम किए ही। याद रखिए , आपकी रचनात्मकता ही आपकी दुश्मन है, बड़ा ब्लॉगर बनने के रास्ते में आपके लिए सबसे बड़ी बाधा यही है। इससे मुक्ति की चिंता आपको करनी ही पड़ेगी , अगर आप एक बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो।
चिंता कीजिए और बड़ा ब्लॉगर बन जाइए , है न कितना आसान तरीक़ा ?
चंडूख़ाने की हाँकिए और वह भी बिना चंडूख़ाने जाए और बड़े ब्लॉगर बन जाइए।
अधिकतर बड़े ब्लॉगर आजकल यही कर रहे हैं ,आप भी यही कीजिए ।
अगर आप उनसे अलग हटकर चलेंगे तो हमेशा छोटे ब्लॉगर कहलाएंगे।
सच यही है और मज़ाक़ तो यह है ही।

Tuesday, March 1, 2011

कुछ नया काम कीजिए बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए जैसे कि आज मैंने Virtual Journalism के युग का सूत्रपात किया है

बड़ा ब्लागर बनने के लिए आपको दूसरों अलग हटकर कुछ बड़ा काम करना होगा। आप कोई ऐसा अछूता विचार ब्लाग जगत को दीजिए जो कि आपसे पहले किसी ने भी न दिया हो। आप घिसे पिटे ढर्रे को दोहराने के बजाय नए प्रयोग करें।
जैसे कि मैंने हिंदी ब्लाग जगत को दुनिया की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी दी है जो ब्लागिंग का व्यवहारिक प्रशिक्षण देती है और वह भी पूरी तरह निःशुल्क। इसी के साथ इस प्रशिक्षण को मनोरंजन प्रधान भी रखा जाता है जिससे नए ब्लागर्स के लिए ब्लागिंग का प्रशिक्षण स्कूली पढ़ाई की तरह बोरिंग नहीं रह जाती है ।
ऐसे ही आज मैंने हिंदी ब्लाग जगत में Virtual Journalism अर्थात 'ब्लॉग पत्रकारिता' की बुनियाद रख कर एक नए युग का सूत्रपात कर दिया है । देखें :
ब्लॉग की खबरें
http://blogkikhabren.blogspot.com

मैंने देखा कि ब्लॉग जगत में भी बाहर की असली दुनिया की तरह रोजाना बहुत सी घटनाएँ घटित होती हैं लेकिन वे बाहर के किसी भी समाचार पत्र में नहीं छपतीं क्योंकि बाहरी दुनिया के अखबारों के लिए वे खबरें कोई अहमियत ही नहीं रखती हैं जैसे कि किसी दिन हम अपना ब्लॉग खोलना चाहते हैं तो पता चलता है कि ब्लॉग ही नहीं खुल पा रहा है । किसी दिन कोई एग्रीगेटर आ जाता है और किसी दिन कोई एग्रीगेटर अचानक चला जाता है और कोई एग्रीगेटर भीष्म पितामह की तरह हो जाता है कि उसकी साँसें तो चलती रहती हैं लेकिन सेवा के नाम पर केवल संदेश भेजता रहता है कि अब आप 25 नए चिठ्ठों का स्वागत कर लीजिए और अब आप 19 नए चिठ्ठों का स्वागत कर लीजिए , जैसे कि आजकल चिठ्ठाजगत कर रहा है।
कभी कोई ब्लॉगर किसी ब्लागरनी को धमकी देकर चौबे जी से छब्बे जी बनना चाहता है और जब वह पलटकर लौह प्रहार करती है तो बेचारे को दुबे जी बनकर रह जाना पड़ता है।
कभी यहाँ कोई किसी से पहले तो साथ जीने मरने की आभासी क़समें खाती है और जब उसका काम निकल जाता है तो फिर अपने यार-प्यार के लव लैटर्स सबको दिखाकर किसी साझे ब्लॉग के चौराहे पर उसे सारे ब्लॉग जगत में रूसवा करती है और उसकी प्रैस्टिज की अर्थी निकाल देती है।
कभी यहाँ कोई जान से मारने की धमकी देता है और कभी यहाँ कोई क़ानून की धमकी देता है । कभी यहाँ कोई ब्लॉगर्स पर मुक़द्दमा करने पर ईनाम की घोषणा करता है और कभी यहाँ किसी को अपनी ब्लॉग पोस्ट के संकलन पर एक लाख रुपए का पुरस्कार भी मिलता है जैसे कि अभी अभी भाई अजित वडनेरकर जी को 'शब्दों का सफ़र' पर मिला है। कभी किसी ब्लॉगर की शादी होती है जैसे कि डा. अयाज़ साहब की शादी 13 फरवरी 2011 को हुई है । कभी किसी को संतान सुख मिलता है तो कभी किसी ब्लॉगर के किसी प्यारे की मौत हो जाती है जैसे कि डा. रूपेश श्रीवास्तव जी की आदरणीय माता जी पर जादू किया गया और वे बीमार होकर चल बसीं ।
कभी कोई नया ब्लॉग आता है और बहुत कम समय में ही बुलंदी पर पहुँच जाता है जैसे कि 'अमन का पैग़ाम' पहुँच गया कि उसके विज़िटर्स की संख्या रोजाना 250 से लेकर 900 तक रहती है और ज्यादा भी हो जाती है ।
'अंतिम अवतार' ब्लॉग ने मात्र 5 पोस्ट्स प्रकाशित कीं और उसे गूगल ने रैंक 3 दे दिया जबकि मैं अपने ब्लॉग 'वेद कुरआन' पर 196 पोस्ट्स प्रकाशित करने के बाद भी गूगल की ओर से रैंक 2 ही हूँ । यह सचमुच एक चमत्कार है। इस चमत्कार को किया है मेरे आदरणीय गुरु श्री सारथि जी महाराज चाणक्य फ़ेम जनाब उमर कैरानवी साहब ने। इसके अलावा यहाँ बहुत लोग नए और पुराने ब्लॉगर्स की मुफ्त मदद करते हैं और कुछ लोग ब्लॉगर मीट भी अरेंज करते हैं।
कभी किसी साझे ब्लॉग से उसका अध्यक्ष खुद को पदमुक्त कर लेता है और कहीं दूसरी जगह कोई संचालक अपने खिलाफ लिखने पर उसी ब्लॉगर को निकाल बाहर करता है जिसने कि उस ब्लॉग की रूपरेखा बनाई होती है।
यहाँ कोई ऐसा भी हीरो है कि अकेला ही सब पर भारी है और यहाँ उसके खिलाफ साज़िशें रचने वाले विलेन भी हैं ।
ग़र्ज़ यह कि गुस्सा , नफरत , प्यार और हमदर्दी जिंदगी का हरेक रंग इस Virtual world में मौजूद है और ब्लॉगर्स को खुशी और ग़म देने वाली घटनाएँ भी यहाँ घटित होती ही रहती हैं लेकिन उन घटनाओं को समाचार के रूप में प्रकाशित करने का चलन यहाँ नहीं था । इस एक बड़ी कमी को आज मैंने मालिक की दया से दूर कर दिया है।
ऐसे ही अभी और भी बहुत से काम होना बाक़ी हैं । आप देखिए कि आप ब्लॉग जगत को क्या दे सकते हैं ?
आप ब्लॉग जगत को कुछ ऐसा दीजिए कि ब्लॉग जगत के लिए आपको नज़रअंदाज़ करना मुमकिन ही न रहे । बस आप इतना कर लीजिए , आप बड़े ब्लॉगर बन जाएँगे।