Thursday, August 30, 2012

जानिए बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग पर बहती मुख्यधारा

बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए मुझे क्या करना होगा गुरूजी ? -मेरे मन के आंगन में दाखि़ल होते हुए एक काल्पनिक पात्र ने पूछा। विचार के पैरों से चलते हुए वह अचानक वहां आ खड़ा हुआ जहां मेरा अवधान उस पर टिक गया और यही उसकी सफलता थी।
मन में विचार तो लाखों आते हैं लेकिन हमारा अवधान किसी किसी पर ही टिकता है।
हम भी ख़ुश हुए कि चंचल मन किसी बहाने थोड़ा ठहरा तो सही। मन किसी एक विचार पर ठहर जाए यही बड़ी उपलब्धि है।
विचार भी हमारा अपना था लिहाज़ा उसमें गुण भी हमारे ही झलक रहे थे। हमें तसल्ली हो गई। मन की दुनिया भी बड़ी अजीब है। मन अपना होता है लेकिन उसमें विचर रहे होते हैं दूसरों के विचार और हमें पता ही नहीं चलता। कभी कभी तो यह जाने बिना ही पूरी उम्र गुज़र जाती है।
काल्पनिक पात्र अब भी हमारे जवाब का मुन्तज़िर था।
हमने उससे मन ही मन कहा-‘बड़ा बनने के लिए बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग को देखो और उनका अनुसरण करो।‘
‘गुरूजी, आजकल इंस्टेट फ़ूड का ज़माना है और आप बिरयानी दम कर रहे हैं। हमें तो आप इंस्टेंट टिप्स बता दीजिए। आप तो बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग पढ़ते ही रहते हैं।‘-उसकी तरंग मेरे मन को छू गई।
‘बड़ा ब्लॉगर बनना है तो आपको साहस करना होगा।‘-हमने कहा।
‘साहस, कैसा साहस ?‘-वह कुछ समझ नहीं पाया।
‘ग़लत को सही कहने का साहस, ग़लत लोगों का साथ देने का साहस, नंगी होती लड़कियों को नारी मुक्ति का आदर्श बताने का साहस, समलैंगिकों के हक़ में तर्क जुटाने का साहस, अपने ज़मीर का गला घोंटने का साहस। आपको नफ़रत फैलानी होगी, मर्यादा और सीमाएं तोड़नी होंगी। न भी तोड़ पाएं तो ऐसा दिखाना होगा कि जैसे कि बस आप तोड़ने ही वाले हैं और तोड़ने वालों को पसंद करते हैं। चाहे आप अपने घर में तीर्थ,व्रत,प्रार्थना सब कुछ करते हों लेकिन अपने लेखन में ख़ुद को नास्तिक ज़ाहिर करना होगा। धर्म को कूड़ा कबाड़ बताना होगा। शराब पीनी है या आज़ाद यौन संबंध बनाने हैं तो ये काम सीधे करने के बजाय पहले संवैधानिक नैतिकता का पाबंद बनना होगा। इससे आपको पारंपरिक नैतिकता की घुटन से आज़ादी ख़ुद ही मिल जाएगी। अब जो चाहे कीजिए। ज़्यादा ब्लॉग फ़ोलो कीजिए, ज़्यादा टिप्पणियां दीजिए। टिप्पणी में ब्लॉगर्स की तारीफ़ कीजिए। हिंदी ब्लॉग पर अंग्रेज़ी में टिप्पणी दीजिए। अपने ब्लॉग पर कुछ कहना हो किसी विचारक को ज़रूर उद्धृत कीजिए। देशी हिन्दी विचारक के बजाय किसी विदेशी विचारक को उद्धृत कीजिए। अंग्रेज़, फ़ेन्च या अमेरिकन, कोई भी चलेगा। जर्मनी का हो तो अच्छा रहेगा। अरब का भूलकर भी न हो। अपने प्रोफ़ाइल में चित्र ऐसा रखें जिसमें वैभव और ग्रेस एकसाथ नज़र आएं। बुढ़ापे में जवानी का फ़ोटो लगाएं। विदेश यात्राओं का ज़िक्र करें, उनके फ़ोटो दिखाएं। जिस विचारधारा के ब्लॉगर ज़्यादा हों, उनसे बनाकर रखें। बनाकर न भी रखें तो बिगाड़ कर कभी न रखें। मर्द हो तो औरत में दिलचस्पी लो और अगर औरत हो तो मर्दों में दिलचस्पी लो और दोनों ही न हों तो दोनों को रिझाओ। अपनी बात अपनी कविता के बहाने कहो। उसमें उभार, गहराई और लंबाई, सबका ज़िक्र करो। ग़द्य में अश्लीलता कहलाने वाले शब्द कविता में सौंदर्य कहलाते हैं ब्लॉग पर। कविता न लिख सको तो भी उसे कविता बताओ। गद्य लिखकर बीच बीच में एन्टर मारते चले जाओ। तब कोई नहीं कहेगा कि यह कविता नहीं है। यहां कविता और साहित्य से किसी का लेना देना कम ही है। सबके मक़सद यहां कुछ और हैं। हिंदी ब्लॉगिंग की मुख्य धारा यही है। आप भी सत्य के सिवा कुछ और मक़सद निश्चित करो और ब्लॉगिंग शुरू कर दो। बड़ा ब्लॉगर बन जाओगे। जो  आप होना चाहते हो। सोचो कि तुम वह हो चुके हो। इससे तुम्हारे हाव भाव तुरंत बदल जाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यही है। जो  आप ख़ुद को महसूस करते हो,  आप वही हो।‘-हमारी तरंगे भी उसे छू रही थी।
‘...और अगर मैं मुख्यधारा के खि़लाफ़ चलूं और सत्य को मक़सद बनाऊं तो...‘-उसने कहा। आखि़रकार विचार तो वह हमारा ही था।
‘तब  आप तन्हा रह जाओगे।‘-हंमने चेतावनी दी।
‘फ़ायदा इसी में है।‘
‘कैसे ?‘
‘जो मैं लिखूंगा, लिखने से पहले वहीं सोचूंगा। जो हम सोचते हैं, हम वही हो जाते हैं। मैं सत्य सोचूंगा तो मैं भी सत्य हो जाऊंगा। यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। यही बात सबसे बड़ा ब्लॉगर बनाती है।‘-उसने कहा।
काल्पनिक पात्र आगे बढ़ चुका था लेकिन हमारा अवधान अब भी ठीक उसी जगह केंद्रित था जहां कि वह था। एक शून्य का अनुभव हो रहा था और शून्य की अनुभूति का तरीक़ा भी यही है कि पहले आप सारे विचारों में से किसी एक विचार को चुनें, विचार सुन्दर हो, उसकी सुन्दरता आपके ध्यान को बरबस ही खींच लेगी। आप उसमें रम जाएंगे और आपका ध्यान सबसे हटकर एक पर केंद्रित हो जाएगा। फिर आप उस विचार को भी जाने दें।
अब केवल आप बचेंगे निर्विचार। निर्विचार होना सहज सरल है।