
‘लड़की से शादी का चलन अभी तक बाक़ी है, तुम भी कर लोगे तो इसमें नया क्या होगा ?‘-हमने उससे पूछा।
‘लड़की ब्लॉगर होगी, इसमें यह नया होगा।‘-उसने लैपटॉप को बंद करके बैग में रखते हुए कहा।
‘किसी कमाऊ लड़की से शादी करने की ज़िद करता तो हमारी समझ में आता लेकिन एक हिंदी ब्लॉगर तुम्हें क्या दे पाएगी ?'
दहेज में नॉन ब्लॉगर लड़की का बाप जो देगा वह तो ब्लॉगर का बाप भी ज़रूर देगा बल्कि ज़्यादा देगा। साथ में डेस्क टॉप, लैपटॉप, टैबलेट और इंटरनेट कनेक्टर भी देगा।‘-उसने मुस्कुराते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर हम भी मुस्कुराये-‘बस इतनी सी बात के लिए ही ब्लॉगर लड़की से शादी करोगे।‘
‘नहीं, दरअसल मैं ज़िंदगी को अपने तरीक़े से जीना चाहता हूं। मैं शांति चाहता हूं। मुझे प्राब्लम्स पालने का शौक़ नहीं है और इस तरह दुश्मन भी दबे रहेंगे और एक दिन वे बर्बाद भी हो जाएंगे।‘-उसने हमारी आंखों में झांक कर कहा और कुर्सी से उठकर ड्राइंग रूम में टहलने लगा।
‘बात कुछ समझ में नहीं आई‘-वाक़ई उसकी बात समझ से बाहर थी कि यह सब उसे एक ब्लॉगर लड़की से कैसे मिल सकता है ?‘
‘देखिए, एक ब्लॉगर वर्चुअल दुनिया के दोस्त दुश्मनों में मगन रहता है। सो ब्लॉगर लड़की भी ऐसे ही रहेगी और मैं अपनी ज़िंदगी अपने तरीक़े से जी सकूंगा। ब्लॉगिंग के लिए वह देर तक जागती रहेगी और सोएगी तो फिर उठेगी नहीं। ऐसे में वह कोई प्रॉब्लम पैदा ही नहीं कर पाएगी तो उसे पालने की नौबत भी न आएगी।‘-उसने समझाया तो लगा कि उसकी बात में दम है।
‘...और दुश्मन कैसे दबे रहेंगे ?‘
‘यह मैंने अभी अभी एक पोस्ट पर देखा है कि एक ब्लॉगर शेर की तरह ग़र्राकर किसी समारोह के आयोजकों से पूछ रहा था कि बताओ धन कहां से जुटाया और कहां लुटाया ?‘, ख़ुद को फंसा देखकर आयोजक अपनी बीवी की आईडी से लॉगिन करके ख़ुद ही जवाब देने आ गया। सवाल पूछने वाला बिल्ली की तरह म्याऊं म्याऊं करने लगा। वह समझा कि सामने सचमुच ही भाभी खड़ी हैं। उसे लगा कि इससे कुछ कहा तो ईद का शीर हाथ से निकल जाएगा। सोचिए अगर सामने सचमुच ही भाभी खड़ी हो तो फिर दुश्मन कैसे ललकार कर बात कर सकता है ?‘-उसकी दलील में दम था।
‘...और वह दुश्मन की बर्बादी वाली बात कैसे हो पाएगी ?‘-यह बात अब भी हमारी समझ से बाहर थी।
‘आंकड़े बता रहे हैं कि ब्लॉगिंग और सोशल नेटवर्किंग से जुड़े हुए लोग कभी कभी आपस में ज़रूरत से ज़्यादा ही जुड़ जाते हैं और उनकी शादियां टूटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हो सकता है कि मेरी क़िस्मत भी किसी दिन मुझ पर मेहरबान हो जाए और मेरी बीवी मेरे किसी दुश्मन के साथ चली जाए। ऐसा हुआ तो दुश्मन की बर्बादी तय है कि नहीं।‘-उसने उम्मीद जताई।
‘क्या तुम इसे क़िस्मत की मेहरबानी का नाम दोगे ?‘
‘अगर घर से मुसीबत रूख़सत हो जाए तो क्या यह क़िस्मत की मेहरबानी नहीं कहलाएगी ?‘
‘मुसीबत ???‘-हम वाक़ई हैरान थे।
‘मुसीबत ही नहीं बल्कि डबल मुसीबत। एक तो बीवी नाम ही मुसीबत का है और ऊपर से वह ब्लॉगर भी हो तो जानो कि नीम के ऊपर करेला चढ़ा है।‘-उसने ऐसा मुंह बनाकर कहा जैसे करेला नीम पर नहीं बल्कि उसके मुंह में रखा हो।
‘डबल मुसीबत भी कह रहे हो तो उसे घर क्यों ला रहे हो ?‘-हमने थोड़ा झल्लाकर कहा।
‘क्योंकि कुवांरेपन का धब्बा हट जाएगा और सम्मान मिल जाएगा। शादीशुदा आदमी को समाज में विश्वसनीय और सम्मानित माना जाता है। ब्लॉग जगत में भी ज़्यादातर विवाहितों को ही सम्मानित किया जाता है। मुझे भी सम्मानित होना अच्छा लगता है। सिंगल ब्लॉगर की लाइन लंबी है जबकि डबल ब्लॉगर यानि दंपति ब्लॉगर में दो चार ही नाम हैं। दंपति ब्लॉगर वाले टाइटल का सम्मान मुझे मिल सकता है। ब्लॉगर मिलन के बहाने आउटिंग भी होती रहेगी और सारा ख़र्चा भी ससुर के सिर पर ही पड़ेगा।‘-उसने ख़ुश होते हुए कहा।
‘तेरा तो बहुत लंबा प्लान है भई, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि सारा मामला उल्टा तुम्हारे गले पड़ जाए‘-हमने कहा।
‘क्या मतलब ?‘
‘अगर ब्लॉगर लड़की का भी ऐसा ही कोई छिपा एजेंडा हुआ तो लेने के देने पड़ सकते हैं।‘-हमने कहा तो उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।
‘अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा ?‘
हमने क़हक़हा लगाकर कहा-‘ज़्यादा कुछ नहीं होगा, बस तुम अपने तरीक़े से नहीं जी पाओगे। घर में प्रॉब्लम्स पैदा होती रहेंगी और तुम उन्हें पालते और पढ़ाते रहना। तुम ज़िंदगी भर बिल्ली की तरह म्याऊँ म्याऊँ करते रहोगे। दुश्मन के बजाय तुम ख़ुद ही दबे पड़े रहोगे। ...और हां, तुम्हारी जान को एक काम और बढ़ जाएगा।‘
वह क्या ?
‘तुम्हारी बीवी तो बच्चे और रसोई संभालेगी, तब उसके ब्लॉग को भी तुम्हें ही संभालना पड़ेगा और उसके प्रशंसकों को भी। दंपति को अवार्ड ऐसे ही नहीं मिल जाता। वे इसके लिए डिज़र्व करते हैं।‘-हमने कहा।
‘तुम्हारी बीवी तो बच्चे और रसोई संभालेगी, तब उसके ब्लॉग को भी तुम्हें ही संभालना पड़ेगा और उसके प्रशंसकों को भी। दंपति को अवार्ड ऐसे ही नहीं मिल जाता। वे इसके लिए डिज़र्व करते हैं।‘-हमने कहा।
ड्राइंग रूम में घूमता हुआ रंजन अचानक ही सोफ़े पर पसर गया। उसके माथे पर लकीरें उभर आई थीं।
12 comments:
हाहाहहा हा
अब बीबी का तो भगवान जाने..
पर एक पिता पुत्र में जरूर प्रतियोगिता चल रही है, कौन कितना नीचे गिर सकता है.. ऐसे पिता को तो मैं कुछ नहीं कह सकता, पर पुत्र को नेक सलाह है कि वो पिता को जीत जाने दे
शानदार व्यंग है अनवर साहब ... बहुत अद्भुत क्षमता है आपमें ...अब विषय परिवर्तन कीजिये "और भी गम हैं ज़माने मे" :)
:)
good satire.
मज़ेदार!
बात सही भी है।
वो अपने लैप्टोप में मस्त हम अपने डेस्क टॉप पर।
कोई लड़की से भी तो पूछे कि वह किसी ब्लॉगर से विवाह करना पसंद करेगी भी या नहीं ?
आपने व्यंग्य के बहाने पत्नी से परेशान भाइयों की ज़हनियत की अक्कासी ख़ूब की है.
कोई लड़की से भी तो पूछे कि वह किसी ब्लॉगर से विवाह करना पसंद करेगी भी या नहीं ?
शानदार व्यंग है अनवर साहब ... बहुत अद्भुत क्षमता है आपमें ...अब विषय परिवर्तन कीजिये "और भी गम हैं ज़माने मे" :)
बीवी को मुसीबत वही मानते हैं जो ज़िंदगी के संघर्ष से जी चुराते हैं। बीवी मुसीबतें पैदा नहीं करती बल्कि वर्तमान को ख़ुशनुमा और भविष्य को सुरक्षित करती है।
बीवी की आड़ से दुश्मनों पर निशाना वही साधता है जिसे बीवी का सदुपयोग पता न हो। ग़लत क़िस्म के ब्लॉगर मर्दों पर गहरा तंज़ है आपकी यह पोस्ट.
भाई साहब छा गए लेकिन व्यंग्य की टांग लम्बी हो गई .बीच बीच में भरपूर मजा आया .ब्लोगर होने के कई फायदे हैं .कुछ मुख्य इस प्रकार हैं -
बिना खाए मुटिया सकता है .
ब्लोगर के घर चोरी नहीं हो सकती ,न धन की न "पोस्ट" की .गलती से कोई घुस आया तो दो चार पोस्ट सुननी झेलनी पड़ेंगी .
उसके महान होने दिखने समझने का भ्रम मनोरोगों के माहिरों को कन्फ्यूज़ कर सकता है .वह उसे शिज़ोफ्रेनिक या फिर बाईपोलर इलनेस का मरीज़ घोषित कर सकतें हैं .
ब्लोगर और ब्लोगरी के लक्षणों पर एक आलेख की प्रतीक्षा कीजिए .स्पार्क आपने ही सुलगाया है .हम भैया तोतें हैं जहां अच्छा लगता है रुक के मिठ्ठू -मिठ्ठू करने लगतें हैं .
और हाँ भाई साहब !ब्लोगरी पर आप एक हास्य नाटिका भी लिख सकतें हैं .जिसका थीम कुछ कुछ यूं हो सकता है .एक घर में तमाम लोग ब्लोगर हैं .एक दूसरे की पोस्ट पर टिपण्णी करतें रहतें हैं .ब्लोगर मिलान मनाते हैं .ब्लोगर सम्मान देतें हैं .सारे पुरूस्कार घर में ही रहतें हैं .एक ब्लोगर संग्रह -आलय खोल लेतें हैं .यहाँ बच्चे भी जीन इन्जीनीयारी से तैयार किए गएँ हैं .ब्लोगर ही गर्भस्थ रहतें हैं जब भी कोई गर्भ धारण करता है .,परिवार में. इनके खानदानी अंशों(जींस ) में परिवर्तन आ चुकें हैं .
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