दोस्तो ! बड़ा नाम तो मालिक का है लेकिन उसके बंदों के मन में भी बड़ा काम करने की और बड़ा आदमी बनने की तमन्ना अंगड़ाईयां लेती रहती है। जब एक लेखक ब्लागर बनता है तो वह भी बड़ा ब्लागर बनना चाहता है लेकिन यहां कोई नहीं है जो बता सके कि कोई आदमी बड़ा ब्लागर कैसे बन सकता है ?
मैंने अपने ब्लागिंग के अनुभव को यहां आपके साथ शेयर करने का इरादा किया है और इसे हास-परिहास और व्यंग्य का रंग दिया है ताकि पाठकों के लिए रोचकता बनी रहे।
किसी भी ज़िंदा या मुर्दा व्यक्ति से इसकी घटनाएं अगर मिलती हैं तो उसे हरगिज़ संयोगवश न माना जाए बल्कि एक यथार्थ ही समझा जाए।
अब जल्दी ही आपके सामने एक धारावाहिक पेश किया जाएगा।
इंशा अल्लाह !
4 comments:
क्या बात है जनाब. नया रंग नए अंदाज़.
Lagta hai koi naya dhamaka!
intzaar rahega
mere blog ko bhi ap apni blog list me samil kare
http://hiteshnetandpctips.blogspot.com
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