Friday, September 14, 2012

बीवी का सदुपयोग करता है बड़ा ब्लॉगर Nice Plan

‘मैं शादी करूंगा तो बस लड़की से ही करूंगा।‘- ब्लॉगर रंजन ने लैपटॉप खटखटाते हुए अपना फ़ैसला सुना दिया।
‘लड़की से शादी का चलन अभी तक बाक़ी है, तुम भी कर लोगे तो इसमें नया क्या होगा ?‘-हमने उससे पूछा।
‘लड़की ब्लॉगर होगी, इसमें यह नया होगा।‘-उसने लैपटॉप को बंद करके बैग में रखते हुए कहा।
‘किसी कमाऊ लड़की से शादी करने की ज़िद करता तो हमारी समझ में आता लेकिन एक हिंदी ब्लॉगर तुम्हें क्या दे पाएगी ?'
दहेज में नॉन ब्लॉगर लड़की का बाप जो देगा वह तो ब्लॉगर का बाप भी ज़रूर देगा बल्कि ज़्यादा देगा। साथ में डेस्क टॉप, लैपटॉप, टैबलेट और इंटरनेट कनेक्टर भी देगा।‘-उसने मुस्कुराते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर हम भी मुस्कुराये-‘बस इतनी सी बात के लिए ही ब्लॉगर लड़की से शादी करोगे।‘
‘नहीं, दरअसल मैं ज़िंदगी को अपने तरीक़े से जीना चाहता हूं।  मैं शांति चाहता हूं। मुझे प्राब्लम्स पालने का शौक़ नहीं है और इस तरह दुश्मन भी दबे रहेंगे और एक दिन वे बर्बाद भी हो जाएंगे।‘-उसने हमारी आंखों में झांक कर कहा और कुर्सी से उठकर ड्राइंग रूम में टहलने लगा।
‘बात कुछ समझ में नहीं आई‘-वाक़ई उसकी बात समझ से बाहर थी कि यह सब उसे एक ब्लॉगर लड़की से कैसे मिल सकता है ?‘
‘देखिए, एक ब्लॉगर वर्चुअल दुनिया के दोस्त दुश्मनों में मगन रहता है। सो ब्लॉगर लड़की भी ऐसे ही रहेगी और मैं अपनी ज़िंदगी अपने तरीक़े से जी सकूंगा। ब्लॉगिंग के लिए वह देर तक जागती रहेगी और सोएगी तो फिर उठेगी नहीं। ऐसे में वह कोई प्रॉब्लम पैदा ही नहीं कर पाएगी तो उसे पालने की नौबत भी न आएगी।‘-उसने समझाया तो लगा कि उसकी बात में दम है।
‘...और दुश्मन कैसे दबे रहेंगे ?‘
‘यह मैंने अभी अभी एक पोस्ट पर देखा है कि एक ब्लॉगर शेर की तरह ग़र्राकर किसी समारोह के आयोजकों से पूछ रहा था कि बताओ धन कहां से जुटाया और कहां लुटाया ?‘, ख़ुद को फंसा देखकर आयोजक अपनी बीवी की आईडी से लॉगिन करके ख़ुद ही जवाब देने आ गया। सवाल पूछने वाला बिल्ली की तरह म्याऊं म्याऊं करने लगा। वह समझा कि सामने सचमुच ही भाभी खड़ी हैं। उसे लगा कि इससे कुछ कहा तो ईद का शीर हाथ से निकल जाएगा। सोचिए अगर सामने सचमुच ही भाभी खड़ी हो तो फिर दुश्मन कैसे ललकार कर बात कर सकता है ?‘-उसकी दलील में दम था।
‘...और वह दुश्मन की बर्बादी वाली बात कैसे हो पाएगी ?‘-यह बात अब भी हमारी समझ से बाहर थी।
‘आंकड़े बता रहे हैं कि ब्लॉगिंग और सोशल नेटवर्किंग से जुड़े हुए लोग कभी कभी आपस में ज़रूरत से ज़्यादा ही जुड़ जाते हैं और उनकी शादियां टूटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हो सकता है कि मेरी क़िस्मत भी किसी दिन मुझ पर मेहरबान हो जाए और मेरी बीवी मेरे किसी दुश्मन के साथ चली जाए। ऐसा हुआ तो दुश्मन की बर्बादी तय है कि नहीं।‘-उसने उम्मीद जताई।
‘क्या तुम इसे क़िस्मत की मेहरबानी का नाम दोगे ?‘
‘अगर घर से मुसीबत रूख़सत हो जाए तो क्या यह क़िस्मत की मेहरबानी नहीं कहलाएगी ?‘
‘मुसीबत ???‘-हम वाक़ई हैरान थे।
‘मुसीबत ही नहीं बल्कि डबल मुसीबत। एक तो बीवी नाम ही मुसीबत का है और ऊपर से वह ब्लॉगर भी हो तो जानो कि नीम के ऊपर करेला चढ़ा है।‘-उसने ऐसा मुंह बनाकर कहा जैसे करेला नीम पर नहीं बल्कि उसके मुंह में रखा हो।
‘डबल मुसीबत भी कह रहे हो तो उसे घर क्यों ला रहे हो ?‘-हमने थोड़ा झल्लाकर कहा।
‘क्योंकि कुवांरेपन का धब्बा हट जाएगा और सम्मान मिल जाएगा। शादीशुदा आदमी को समाज में विश्वसनीय और सम्मानित माना जाता है। ब्लॉग जगत में भी ज़्यादातर विवाहितों को ही सम्मानित किया जाता है। मुझे भी सम्मानित होना अच्छा लगता है। सिंगल ब्लॉगर की लाइन लंबी है जबकि डबल ब्लॉगर यानि दंपति ब्लॉगर में दो चार ही नाम हैं। दंपति ब्लॉगर वाले टाइटल का सम्मान मुझे मिल सकता है। ब्लॉगर मिलन के बहाने आउटिंग भी होती रहेगी और सारा ख़र्चा भी ससुर के सिर पर ही पड़ेगा।‘-उसने ख़ुश होते हुए कहा।
‘तेरा तो बहुत लंबा प्लान है भई, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि सारा मामला उल्टा तुम्हारे गले पड़ जाए‘-हमने कहा।
‘क्या मतलब ?‘
‘अगर ब्लॉगर लड़की का भी ऐसा ही कोई छिपा एजेंडा हुआ तो लेने के देने पड़ सकते हैं।‘-हमने कहा तो उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।
‘अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा ?‘
हमने क़हक़हा लगाकर कहा-‘ज़्यादा कुछ नहीं होगा, बस तुम अपने तरीक़े से नहीं जी पाओगे। घर में प्रॉब्लम्स पैदा होती रहेंगी और तुम उन्हें पालते और पढ़ाते रहना। तुम ज़िंदगी भर बिल्ली की तरह म्याऊँ म्याऊँ करते रहोगे। दुश्मन के बजाय तुम ख़ुद ही दबे पड़े रहोगे। ...और हां, तुम्हारी जान को एक काम और बढ़ जाएगा।‘
वह क्या ?
‘तुम्हारी बीवी तो बच्चे और रसोई संभालेगी, तब उसके ब्लॉग को भी तुम्हें ही संभालना पड़ेगा और उसके प्रशंसकों को भी। दंपति को अवार्ड ऐसे ही नहीं मिल जाता। वे इसके लिए डिज़र्व करते हैं।‘-हमने कहा।
ड्राइंग रूम में घूमता हुआ रंजन अचानक ही सोफ़े पर पसर गया। उसके माथे पर लकीरें उभर आई थीं।

Friday, September 7, 2012

‘लंगोटिया ब्लॉगिंग‘: परिभाषा, उपयोग और सावधानियां Hindi Blogging

हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास में वर्ष 2012  कई वजह से याद किया जाएगा। एक ख़ास वजह यह भी है कि ‘लंगोटिया ब्लॉगिंग‘ की शुरूआत इसी वर्ष में हुई। लंगोटिया यारी को दुनिया जानती है। जब इसे ब्लॉगिंग में निभाया जाता है तो लंगोटिया ब्लॉगिंग वुजूद में आती है। ‘लंगोटिया ब्लॉगिंग‘ से मुराद ऐसी ब्लॉगिंग से है जिसमें एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर को अपनी ईमेल आईडी का पासवर्ड भी बता देता है, जो कि अत्यंत गोपनीय रखी जाने वाली चीज़ है। लंगोटिया ब्लॉगिंग में दूसरा ब्लॉगर भी ईमेल आईडी का इस्तेमाल दाता ब्लॉगर के हित में करता है। लंगोटिया ब्लॉगिंग में एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर पर पूर्ण विश्वास करता है और दूसरा ब्लॉगर उसके विश्वास पर खरा उतरता है और उसके बचाव में भरपूर बहस करता है बल्कि ब्लॉगर्स के साथ डांट डपट भी कर देता है। ब्लॉगर महिला हो तो भी नहीं बख्शता। उससे भी कह देता है कि ‘झूठ के पांव नहीं होते‘ और यह नहीं देखता कि ख़ुद के पास न पैर हैं और न सिर, कुछ पास है तो बस गज़ भर की ज़बान है।
बेशक झूठ के पांव नहीं होते लेकिन ज़बान ज़रूर होती है और ज़बान लंबी हो तो आसानी से पकड़ भी ली जाती है। सो एक महिला ने उसकी ज़बान ऐसी पकड़ी कि उसके फ़ोटो खींच अपने सम्मानित ब्लॉग पर चिपका दिए, हमेशा के लिए।
हिंदी ब्लॉगिंग में आपसी विश्वास की यह धारा गुपचुप बहे जा रही थी और हम सभी इससे अन्जान थे कि अचानक यह घटना घटी और सबको हैरान कर गई।
दोनों ही ब्लॉगर बड़े निकले। जिसने दोनों ब्लॉगर्स के अंतरंग विश्वास को ट्रेस किया और सबको बताया वह भी बड़ी ब्लॉगर ही है। दर्जनों बड़े ब्लॉगर इस घटना के गवाह भी बने। इसलिए घटना का ब्यौरा देना ज़रूरी नहीं है।
इस मौक़े पर दोनों बड़े ब्लॉगर मुबारकबाद के मुस्तहिक़ हैं कि उन्होंने हिंदी ब्लॉगर्स के सामने आपसी विश्वास की बेमिसाल मिसाल पेश की है।
धर्मवीर जैसी दोस्ती की मिसाल पेश करने वाले इन ब्लॉगर्स को हिंदी ब्लॉगर्स ने मुबारकबाद देने के बजाय लम्पट, नक्क़ाल और फ़्रॉड तक कहा। जिससे कि उन दोनों ब्लॉगर्स को निश्चय ही बुरा लगा होगा। इस घटना का यह एक काला पक्ष है। इतने महान विश्वास के बाद भी तारीफ़ के बजाय ताने मिलें तो अच्छा नहीं लगता।

यह ब्लॉग हिंदी ब्लॉगिंग का व्यवहारिक प्रशिक्षण देता है। इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि लंगोटिया ब्लॉगिंग की ज़रूरत कब पेश आती है और उसे लोगों की बुरी नज़र से बचाने के लिए क्या करना चाहिए ?
अगर आप अपने ब्लॉग पर केवल अपने विचार रखते हैं तो लंगोटिया ब्लॉगिंग आपके लिए नहीं है।
लंगोटिया ब्लॉगिंग ऐसे दो ब्लॉगर्स के दरम्यान पाई जाती है। जिनमें से एक ख़ुद ब्लॉगर बना हो और दूसरे को उसने ब्लॉगर बनाया हो या ब्लॉगिंग में उसकी मदद करता हो। यह दो बदन एक जान होने जैसी बात है। ऐसा तब किया जाता है जब एक ब्लॉगर अपनी बिसात से ज़्यादा बड़ा काम अपने हाथ में ले लेता है जैसे कि हिंदी ब्लॉगिंग को आगे या पीछे ले जाना। तब वह ज़िम्मेदारी के उस बोझ को उठाने के लिए दूसरे ब्लॉगर को अपने साथ शामिल कर लेता है।
एक प्रोग्राम का आयोजन करता है और दूसरा ऐतराज़ करने वालों के दांत खट्टे करता हुआ घूमता है। कभी वह अपने नाम से जवाब देता है और कभी वह दूसरे ब्लॉगर के नाम से जवाब देता है। इसी जवाब देने के चक्कर में कभी कभी चूक हो जाती है और ब्लॉगर पकड़ लिया जाता है। लंगोटिया ब्लॉगिंग की पहली घटना ऐसे ही पकड़ में आई और आलोचना का विषय बन गई।
इस घटना का एक रूप तो वह है जो दुनिया ने जाना कि अमुक ब्लॉगर ने कहा कि मैंने अपनी ईमेल आईडी का पासवर्ड अपने मित्र ब्लॉगर को बता दिया था। उसी से कमेंट करने में ग़लती हो गई लेकिन सच्चाई इसके उलट थी, जिसे केवल वह ब्लॉगर जानता है जो कि सच बोलने के मशहूर है। हक़ीक़त यह है कि कमेंट देने में ग़लती ख़ुद उसी से हुई थी लेकिन उसने उसे अपने मित्र के सिर डाल दिया। दरअसल उसने उसे अपना पासवर्ड दिया नहीं था बल्कि उसका पासवर्ड लिया था। पासवर्ड लेकर वह उसके ब्लॉग पर अपनी पत्रिकादि का प्रचार करता है। आप देखेंगे कि पिछली पोस्ट पर ब्लॉगर गालियां दे रहा है और अचानक ही अगली पोस्ट गंभीर आ जाती है जो कि उस ब्लॉग के स्वामी के उजड्ड स्वभाव से मेल नहीं खातीं। दोनों पोस्ट के लेखक दो अलग अलग ब्लॉगर हैं। गालियों भरी भाषा वाली पोस्ट ब्लॉग स्वामी की अपनी लिखी हुई हैं। यह उसके कमेंट्स से प्रमाणित है।
याद रखिए कि बड़ा ब्लॉगर अपने से अदना ब्लॉगर को अपना पासवर्ड कभी नहीं देता लेकिन अदना ब्लॉगर सहर्ष अपना पासवर्ड बड़े ब्लॉगर को दे देता है वैसे भी उसके ब्लॉग पर कुछ ख़ास नहीं होता। जिसके लुट जाने का उसे डर हो। कभी कभी ये अदना ब्लॉगर बड़े ब्लॉगर द्वारा ही खड़े किए गए होते हैं। समय समय पर इनसे काम लिया जाता है और बदले में भरपूर सम्मान भी दिया जाता है। अपनी ग़लतियों का ठीकरा फोड़ने के लिए भी इनका सिर काम में लिया जाता है।
लंगोटिया ब्लॉगिंग परिस्थितियों की देन और समय की ज़रूरत है। बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए सिर्फ़ अपना ब्लॉग बना लेना ही काफ़ी नहीं है बल्कि कुछ दूसरे लोगों के ब्लॉग बनवाना भी ज़रूरी है। अगर आपको बड़ा ब्लॉगर बनना है तो आपको भी लंगोटिया ब्लॉगिंग करनी पड़ सकती है। हमारी कोशिश है कि इस यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की लंगोटिया ब्लॉगिंग को कभी किसी की बुरी नज़र न लगे।
इसका उपाय यह है कि
1. कभी किसी अनाड़ी और नादान को दोस्त न बनाएं।
2. हमेशा दूसरे से उसका पासवर्ड पूछें, अपना पासवर्ड दूसरे को न बताएं।
3. एक समय में कभी दो ब्राउज़र का इस्तेमाल न करें।
4. जब आप एक आईडी से लॉगिन हों तो बस केवल उसी का इस्तेमाल करें। इससे आपको यह याद रखने में आसानी होगी कि आप इस समय किस व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
5. जोश और उत्तेजना में कमेंट न करें।
6. कमेंट पब्लिश करने से पहले हमेशा उसका प्रीव्यू देख लें। जो भी ग़लती होगी, नज़र आ जाएगी और उसे दूर भी कर लिया जाएगा।
ग़लतियों को सीख के रूप में लेना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें दोहराया न जाए।