दो साल पहले एक परिचित के निमंत्रण पर हम उसके घर गए और साथ में अपने दोस्त को भी ले गए। हमारे परिचित भी मुसलमान थे और हमारे दोस्त भी और हम ख़ुद भी। हमारे परिचित ने हमें क़ायदे से नाश्ता कराया। नाश्ते का सामान भी वह ख़ुद ही लाए और बाद में किचन तक बर्तन भी ख़ुद ही पहुंचाए। उनके शहर में उनके साथ घूमे। हमारे दोस्त तो वापस चले गए लेकिन उनके साथ हम फिर उनके घर आ गए। इस बीच उनकी बीवी हमारे सामने नहीं आईं और न ही उनकी मां हमारे सामने आईं। हमें अच्छा लगा कि इस घर में पर्दे का रिवाज अभी बाक़ी है।
इस वाक़ये के कुछ माह बाद हमारे उस परिचित को सम्मानित होना पड़ा . एक बूढ़े आदमी को भी उसी समारोह में सम्मानित होना था। वह उनके शहर आया तो उन्होंने उसे अपने घर पर रूकवाया और उसे असली बूढा समझ कर अपनी बीवी को भी उसके सामने कर दिया। उसने परिचय कराया कि ये हमारी शरीके हयात हैं। हमारा परिचित तो उसे बूढ़ा समझकर सम्मान देता रहा लेकिन वह बूढ़ा उसकी बीवी के रूप का जायज़ा लेता रहा। सम्मान समारोह से लौटकर बाद में उसने अपनी मित्र मंडली को बताया कि जब मैं रात को अमुक के घर पहुंचा तो तुरंत ही एक सुंदर स्त्री नाश्ता-पानी लेकर आ गई।
याद रखिये, जब तक एक आदमी में सुंदरता को महसूस करने की ताक़त बाक़ी है तब तक उसे हरगिज़ हरगिज़ बूढ़ा न समझा जाए और अगर वह आदमी ब्लॉगर भी हो और ब्लॉगर भी बड़ा हो, तब तो बिल्कुल भी उसका ऐतबार न किया जाए और अगर ब्लॉगर होम्योपैथी का जानकार भी हो तो ख़तरा और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। डैमियाना, एसिड फॉस और कैलकेरिया फ़्लोरिका खाने वाले पर बुढ़ापा आता ही कब है ?, बस बाल सफ़ेद होते हैं और अगर साइलीशिया खा ली जाए तो सफ़ेद बाल भी काले हो जाएँ। इनके अलावा भी और कई दवाएं हैं जो बदन में बहने वाला माददा आख़िर उम्र तक बनाती रहती हैं। वह खुद भी ऐलानिया बताते रहते हैं कि मैं बूढा नहीं हूँ।
बालों में सफ़ेदी देखकर लोग उसका ऐतबार करते हैं। लोग ऐतबार करें तो करें लेकिन आप किसी का ऐतबार उसके बाल या उसकी उम्र देखकर मत करना। आजकल ज़माना बड़ा ख़राब है।
किसी को मेहमान बनाने से नहीं बच सकते तो कम से कम नाश्ता पानी तो ख़ुद परोसा ही जा सकता है। ऐसा किया जाए तो फिर आपकी बीवी की सुंदरता का चर्चा कोई अपने ब्लॉग पर नहीं कर पाएगा।
बड़ा ब्लॉगर सफ़र भी करता है और मेहमान भी बनता है और इस दौरान वह अपनी पोस्ट का सामान भी आपके घर से ही ले जाता है।
आपकी बीवी की सुंदरता आप तक रहे तो बेहतर है वर्ना कहीं किसी ब्लॉगर की नज़र पड़ गई तो वह उसका चर्चा अपने ब्लॉग पर किए बिना नहीं मानेगा और तब दूसरे ब्लॉगर भी आपके घर का रूख़ करेंगे। वे भी देखना चाहेंगे कि तुम्हारी बीवी कितनी सुंदर है ?
जो इस तरह के लोगों को अपने घर का रास्ता दिखाने से बच जाए, वास्तव में वही है बड़ा ब्लॉगर .
याद रखिये, जब तक एक आदमी में सुंदरता को महसूस करने की ताक़त बाक़ी है तब तक उसे हरगिज़ हरगिज़ बूढ़ा न समझा जाए और अगर वह आदमी ब्लॉगर भी हो और ब्लॉगर भी बड़ा हो, तब तो बिल्कुल भी उसका ऐतबार न किया जाए और अगर ब्लॉगर होम्योपैथी का जानकार भी हो तो ख़तरा और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। डैमियाना, एसिड फॉस और कैलकेरिया फ़्लोरिका खाने वाले पर बुढ़ापा आता ही कब है ?, बस बाल सफ़ेद होते हैं और अगर साइलीशिया खा ली जाए तो सफ़ेद बाल भी काले हो जाएँ। इनके अलावा भी और कई दवाएं हैं जो बदन में बहने वाला माददा आख़िर उम्र तक बनाती रहती हैं। वह खुद भी ऐलानिया बताते रहते हैं कि मैं बूढा नहीं हूँ।
बालों में सफ़ेदी देखकर लोग उसका ऐतबार करते हैं। लोग ऐतबार करें तो करें लेकिन आप किसी का ऐतबार उसके बाल या उसकी उम्र देखकर मत करना। आजकल ज़माना बड़ा ख़राब है।
किसी को मेहमान बनाने से नहीं बच सकते तो कम से कम नाश्ता पानी तो ख़ुद परोसा ही जा सकता है। ऐसा किया जाए तो फिर आपकी बीवी की सुंदरता का चर्चा कोई अपने ब्लॉग पर नहीं कर पाएगा।
बड़ा ब्लॉगर सफ़र भी करता है और मेहमान भी बनता है और इस दौरान वह अपनी पोस्ट का सामान भी आपके घर से ही ले जाता है।
आपकी बीवी की सुंदरता आप तक रहे तो बेहतर है वर्ना कहीं किसी ब्लॉगर की नज़र पड़ गई तो वह उसका चर्चा अपने ब्लॉग पर किए बिना नहीं मानेगा और तब दूसरे ब्लॉगर भी आपके घर का रूख़ करेंगे। वे भी देखना चाहेंगे कि तुम्हारी बीवी कितनी सुंदर है ?
जो इस तरह के लोगों को अपने घर का रास्ता दिखाने से बच जाए, वास्तव में वही है बड़ा ब्लॉगर .
12 comments:
अब आँख तो आँख है
उसे बूढ़ा कैसे बनाया जाये
सुंदरता सामने हो तो क्या
उससे अपनी आँख को चुराया जाये
बताने में भी क्या परेशानी है
अगर गुलाब को किसी
के सामने लाया जाये
बात समझ में नहीं आई
पूरा तो खुल के समझाया जाये
या फिर सफेद बालों पर
कुछ काला वाला लगाया जाये !!
उम्दा आलेख!
mazedaar post...tanzo-mazaah ka badhiya namoona...
दिल फ़डकता है तो फिर ज़बान कहां क़ाबू में रहती है।
मेहमान क्या खा रहा है ?
इसे देखने के साथ साथ यह भी देखते रहना चाहिए कि मेहमान घर के सदस्यों को किस निगाह से देख रहा है ?
दोस्ती की आड़ में दोस्त बहुत कुछ कर जाते हैं।
पर्दे की मुख़ालिफ़त यही लोग करते हैं।
मज़ाक़ मज़ाक़ में गहरी संजीदा बात कह देना आपकी रिवायत है।
यह एक अच्छी पोस्ट है.
behtreen lekh ke liye badhai sweekar karen ......sir ****
बहुत ही अच्छी बात कही है |
ऐं,हम तो सोच रहे थे कि बाहरी दुनिया से जुड़ रहे हैं। यहां तो अपनी दुनिया बचानी भी भारी पड़ रही है!
सवाल तो यह उठाता है कि उस मेजवान ने आपके सामने अपनी बीवी को क्यों नहीं आने दिया और उन बूढ़े ब्लोगर के लिए चाय क्यों लाने दिया.....पर्दा तो वुज़ुर्गों का आदर होता है...
वैसे भी आजकल जवानों से ज्यादा बूढों से खतरा है देखिये न तिवारी जी जैसे बूढों ने राजभवन में क्या क्या गुल खिला दिए थे और आज भी जवानों से ज्यादा चर्चे उन्हीं के हो रहे है |
@ Sushil ji ! आपकी खातिर लेख को एडिट करके कुछ इशारे डाल दिए हैं।
डा० साहब बेहद उपयोगी आलेख ..सावधान रहूँगा
सादर !!!
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 25/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
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