Tuesday, February 1, 2011

कोई भी घटना हो तो एक आदर्श ब्लागर के दिमाग़ में तुरंत एक पोस्ट का विचार आना चाहिए . The ideal blogger

घेर लेने को मुझे जब भी बलाएं आ गईं
ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं

कल दोपहर के वक्त मैं जंगल से वापस लौट रहा था। सड़क के दोनों तरफ़ दूर तक हरियाली फैली हुई थी। मेरे साथ पुष्कर तोमर जी भी थे। वह एक युवा हैं। वह कहते हैं कि कहने के तो हम ठाकुर हैं लेकिन कर्म हमारे बिल्कुल ब्राह्मणों जैसे हैं। हम सुबह शाम रामायण पढ़ते हैं। मांस-मच्छी के पास तक नहीं जाते। नशा नहीं करते आदि आदि। इसी विषय पर मैं उनसे बात कर रहा था। तभी अचानक ‘धड़ाम‘ की एक ज़ोरदार आवाज़ सुनाई दी। हमारे आगे जो कार चल रही थी वह सड़क पर अचानक ही तिरछी हो गई। उसे बचाने के चक्कर में हमारी बाइक सड़क से उतर गई और रोड साईड पर बजरी पर फिसलकर गिर गई। मेरा मुहं बजरी में रगड़ खाता हुआ चला गया। मैंने उठकर सबसे पहले पुष्कर जी की ख़ैरियत ली। उन्हें निहायत मामूली सी खरोंचे आईं थीं। मैंने कार पर नज़र डाली तो पता चला कि उसका सामने का शीशा टूट चुका है। उसमें आगे की सीट पर दो मर्द सवार थे। सड़क के किनारे एक नीलगाय उर्फ़ नीलघोड़ा पड़ा था। उसे देखते ही सारा माजरा समझ में आ गया कि असल में हुआ यह था कि अचानक ही नीलगाय ने सड़क पार करनी चाही और कार से टकरा गई। बहुत कम देर में ही नीलगाय उठी और चली गई। कार वालों के होश फाख्ता से लग रहे थे। मैंने सब हालात का जायज़ा लेकर अपनी चोट का अंदाज़ा लगाया और कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि सब ठीक है। जी. टी. रोड जैसे बिज़ी रास्ते पर, जहां हरदम कोई न कोई बड़ा वाहन गुज़रता ही रहता है, उस वक्त दूर दूर तक कोई भी बड़ा तो क्या कोई छोटा वाहन भी न था, वर्ना समीकरण कुछ और भी हो सकते थे। मेरे पूरे वजूद को लोड मेरे चेहरे पर ही आ गया था सो मेरी गर्दन में दर्द हो रहा था। बाइक को उठाया तो पता चला कि उसका हैंडल थोड़ा सा तिरछा हो गया था।
बहरहाल एक्सीडेंट तो हो गया और हमने अल्लाह का शुक्र भी अदा कर दिया और दुआ के बाद बारी थी कर्म की। एक ब्लागर का कर्म हैं ब्लागिंग करना। कोई भी घटना हो तो उसके दिमाग़ में तुरंत एक पोस्ट का विचार आ जाए तो उसे एक आदर्श ब्लागर मानना चाहिए। पुष्कर जी ने अपना चेहरा धो लिया और मुझसे भी कहा तो मैंने कहा कि भाई पहले ज़रा दो चार फ़ोटो ले लीजिए। हमने मिट्टी से सने अपने चेहरे के फ़ोटो लिए। हमारे चश्मे पर पर बेतहाशा खरोंचें आ चुकीं थीं। उसकी वजह से हमारी आंखें ज़ख्मी होने से बच गईं। अपने चश्मे का फ़ोटो भी खुद लिया और धीरे धीरे चलकर शहर आ गए। मोटर सायकिल मैकेनिक के हवाले करके हमने जुहर की नमाज़ अदा की और फिर अपनी मरहम पट्टी करवाई। चश्में की दुकान पर जाकर तनवीर भाई को अपना चश्मा दिया और कहा कि इसे ठीक करके तुरंत दीजिए।
वे बोले कि कारीगर तो अभी दुकान पर है नहीं। दूसरी जगह भेजकर इसके लेंस बदलवाने होंगे। शाम तक ही मिल पाएगा।
हमने कहा कि तब आप इसे हमारे रेज़िडेंस पर भिजवा दीजिएगा। वहां से निकलते ही हमने ब्लाग ‘पछुआ पवन‘ का जायज़ा लिया। इसे जनाब पवन कुमार मिश्रा जी संभालते हैं। वे एक पूरी पोस्ट लिखकर हमसे सवाल जवाब कर रहे थे। उन्हें हमने एक जवाब दिया।
एक मंत्री जी भी हमारे शहर में आने वाले थे। सोचा कि शायद उनसे मुलाक़ात हो जाए। लेकिन जब हम पहुंचे तो वे अपने हैलीकॉप्टर में बैठ चुके थे और जब तक हम अपना कैमरा संभालते, तब तक उनका हैलीकॉप्टर धूल उड़ाते हुए हवा में बुलंद होने लगा था। उनके हवा होते ही सामने एक सरकारी वाहन आता दिखाई दिया। वह हमारे पास से गुज़र गया।
ख़ैर, घर पहुंचे तो हमारे घर वालों ने हमारी हालत देखी और रिश्तेदार और पड़ौसी, हिंदू-मुस्लिम सभी आ जुटे और उस मालिक का शुक्र करने लगे।
मैं भी उसी मालिक का शुक्रगुज़ार हूं। वाक़ई जब तक मौत का वक्त नहीं आएगा, तब तक मौत भी नहीं आएगी। यह सच हे।
अल्-हम्दुलिल्लाह !  
तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले

8 comments:

नुक्‍कड़ said...

बिना घटना के गर पोस्‍ट का विचार आया होता तो यूं दुर्घटना का नहीं मौसम गरमाया होता। आप घर रहकर ही पोस्‍ट लगा रहे होते, फिर काहे को मोटरसाईकिल के तिरछे हो गए हैंडल के चर्चे होते।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सबसे बड़ा अवसर वादी वही होता है जो गलती से तालाब में गिर जाय तो नहा कर ही बाहर निकले।
बड़ा ब्ल़ागर..बड़ा अवसर वादी तो नहीं!

DR. ANWER JAMAL said...

@ भाई अविनाश जी ! आपकी सलाह भी ठीक है .
@ भाई देवेन्द्र पाण्डेय जी ! आपने बड़े पते की बात कही है .
आप दोनों साहिबान का शुक्रिया .

एस एम् मासूम said...

बेहतरीन और ज्ञानवर्धक
.
ज़रा सोंच के देखें क्या हम सच मैं इतने बेवकूफ हैं

एस एम् मासूम said...

तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले
.
ज़रा सोंच के देखें क्या हम सच मैं इतने बेवकूफ हैं

Aslam Qasmi said...

अल्‍लाह आपको सलामत रखे, वेसे तो आपकी दी तफसील से पता चल रहा है काफी चोटें आपको आयीं आपके चेहरे मुबारक का चित्र भी देख लेते तो अच्‍छा था, दुआ गो आपका भाई

DR. ANWER JAMAL said...

@ जनाब असलम क़ासमी साहब ! आपकी ख्वाहिश का अहतराम करते हुए मैंने पोस्ट को एडिट करके अपने ज़ख़्मी चेहरे के फोटो पेश कर दिए हैं .
आपसे दुआ की दरख्वास्त है.
@ जनाब मासूम साहब ! आपसे भी दुआ की दरख्वास्त है .

Arvind Mishra said...

सही सलामत हैं भाई जान ..खुदा का खैर है -
वैसे आपसे भिड़ती वह मासूम जान तो खैरियत उसकी न होती :) :D