‘इस हाथ दे और उस हाथ ले।‘
कमेंट कमाने का यह मूल उसूल है।
आप किसी की शादी या सालगिरह पर जाते हैं तो कुछ दुआ के बोल देकर आते हैं और कुछ रक़म भी। कुछ समय बाद जब आपके यहां इसी तरह का कोई फंक्शन होता है तो लोग आपके यहां भी आते हैं और देकर जाते हैं, वही दुआएं और वही रक़म। हां, थोड़ा ऊपर नीचे भी हो सकता है।
याद रखिए कि अगर आपने किसी के यहां जाकर कुछ दिया ही नहीं तो फिर आपको भी किसी से कुछ मिलने वाला नहीं है और न ही आपको किसी से कुछ पाने की उम्मीद ही रखनी चाहिए।
आप रक़म बांटेंगे तो लौटकर आपको भी रक़म ही मिलेगी और अगर आप टिप्पणियां बांटेंगे तो लौटकर आपको भी टिप्पणियां ही मिलेंगी। इस दुनिया में कोई आपको कुछ दे नहीं सकता और न ही देता है। दुनिया तो आपको तभी लौटाएगी जबकि वह आपसे कुछ पाएगी। बिना कुछ पाए आपको देने वाला दाता केवल एक रब है, वही सबसे बड़ा है और वह सबको देता है।
अगर आप बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो आप भी अपनी हद भर सबको दीजिए। बिना किसी से कुछ पाए दीजिए, किसी से कुछ पाने की उम्मीद रखे बिना दीजिए।
आप कभी इसलिए टिप्पणी मत कीजिए कि वह भी आपको लौटकर टिप्पणी दे। जो इस आशा के साथ टिप्पणी देता है वह छोटा ब्लॉगर होता है और सदा तनाव में जीता है। छोटी अपेक्षाएं ब्लॉगर के लिए सदा चिंता का कारण बनती हैं। छोटों से और ओछों से तो दुनिया पहले ही भरी हुई है। आपको ऐसा नहीं बनना चाहिए।
जो भी शीर्षक आपको अच्छा लगे, उस लेख पर जाइये और उसे पढ़कर ईमानदारी से अपनी राय दीजिए।
जब आप निरपेक्ष भाव से कुछ समय तक ऐसा करेंगे तो आप देखेंगे कि आपके ब्लॉग का टिप्प्णी सूचकांक ऊपर चढ़ता जा रहा है।
ये टिप्पणियां सच्ची होंगी और आपके लिए बौद्धिक ऊर्जा मुहैया करेंगी। लोगों की तरफ़ से आपको सही सलाह भी मिलेगी और जब आप उन पर ध्यान देंगे तो आपके लेख ही नहीं बल्कि आपके व्यक्तित्व तक में निखार आता चला जाएगा।
जितना निखार आएगा, आपकी बड़ाई में उतना ही इज़ाफ़ा होता चला जाएगा।
यह बात जो जान लेता है, वह बड़ा ब्लॉगर बन जाता है।
13 comments:
ब्लाग ज्ञान से रूबरू हो गये
बहुत कारगर नुस्खा बताया है आपने!
अनवर जमाल को पढ़ें और बड़ा ब्लॉगर बनें.
बहुत अच्छा लिखा है , शानदार , मजा आगया , सटीक, उत्तम ,
भाइयो ये कुछ रेडीमेड कमेंट है कापी पेस्ट करिये मजे से रहिये
बहुत अच्छा लिखा है , शानदार , मजा आगया , सटीक, उत्तम ,
भाइयो ये कुछ रेडीमेड कमेंट है कापी पेस्ट करिये मजे से रहिये
Baat to aapne bilkul sahi kahi... Lekin sawaal yeh hai ki... Kya is len-den se blog jagat ka bhala hoga? Achchha likhne waale dheere-dheere isi kaaran door hotey jaa rahein hain...
बड़ा या छोटा तो नहीं जानते मगर प्रोत्साहन की जरुरत सबको है. आपने ठीक कहा.
@ शाहनवाज़ भाई ! सारा समाज ही लेन-देन की बुनियाद पर क़ायम है और ब्लॉग जगत भी समाज का ही एक हिस्सा है। यहां भी वैचारिक लेन-देन होता है और ब्लॉग लिखने का मक़सद भी यही होता है।
जनाब समीर लाल जी ने फ़रमाया है कि प्रोत्साहन की ज़रूरत सबको होती है।
यही आपकी बात का मुकम्मल जवाब है कि इस लेन-देन से यक़ीनन फ़ायदा होगा बशर्ते कि लेन-देन के पीछे भावना शुद्ध हो।
अच्छा लिखने वाले अगर ब्लॉग जगत को छोड़ गए हैं तो केवल इसीलिए कि उन्हें वह प्रोत्साहन मिला नहीं और राजनीति प्लस कूटनीति वे कर नहीं पाए और बड़े ब्लॉगर जितना दिल-गुर्दा उनमें था नहीं।
आजकल आम की फ़सल चल रही है और तेज़ आंधी में अक्सर ही कच्चे आम गिर रहे हैं। अपनी डाल से कमज़ोर ही टूटता है। मज़बूत फ़ल हर हाल में अपनी डाल पर ही लटका रहता है और मुसीबतों पर वह सब्र करता है और सब्र का फल मीठा होता है।
जो लोग गए वे ब्लॉगिंग के लिए बने ही नहीं थे। वे लोग ग़लती से इधर आ गए थे और उनका जाना उनके लिए भी और ब्लॉगिंग के लिए भी, दोनों के लिए ही सही हुआ। कमज़ोर लोगों के जाने से दल मज़बूत ही होता है। ऐसा वह मानता है जो कि बड़ा ब्लॉगर होता है।
दो-तीन साल बाद जब ब्लॉगिंग पर शबाब आएगा तब वे जानेंगे कि उन्होंने क्या खोया ?
टिप्पणी के लिए शुक्रिया !
औरत की हक़ीक़त Part 1(औरत-मर्द के रिश्ते की एक अनूठी सच्चाई सामने रखने वाला एक बेजोड़ अफ़साना) - Dr. Anwer Jamal
@जनाब मासूम साहब !
@जनाब एम. वर्मा जी !
सराहना और प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया।
@जनाब मयंक जी !
@जनाब समीर लाल जी !
सहमति के लिए शुक्रिया ।
@ अरूणेश जी ! आपने तो एक साथ ही लोगों की समस्या भी आसान कर दी और एक बड़ी समस्या की तरफ़ ध्यान भी दिला दिया।
शुक्रिया।
फ़ास्ट फ़ूड के ज़माने में रेडीमेड कमेंट का चलन भी आम हो चला है।
"आप कभी इसलिए टिप्पणी मत कीजिए कि वह भी आपको लौटकर टिप्पणी दे। जो इस आशा के साथ टिप्पणी देता है वह छोटा ब्लॉगर होता है और सदा तनाव में जीता है। छोटी अपेक्षाएं ब्लॉगर के लिए सदा चिंता का कारण बनती हैं। छोटों से और ओछों से तो दुनिया पहले ही भरी हुई है। आपको ऐसा नहीं बनना चाहिए।
जो भी शीर्षक आपको अच्छा लगे, उस लेख पर जाइये और उसे पढ़कर ईमानदारी से अपनी राय दीजिए।"
उत्तम विचार!
....और ये किसी भी विषय की पोस्ट पर जाकर अपनी पोस्ट का लिंक देने कला का जिक्र भी हो जाता तो....
कुँवर जी,
@कुंवर जी ! बड़ा ब्लॉगर एक पंथ दो काज करता है। वह प्रोत्साहन के साथ ज्ञान भी देता है और लिंक्स के रूप में ज्ञानसूत्र भी। जैसे कि यह है :
अल्बर्ट पिंटो को ग़ुस्सा क्यों आता है ? (गहन विश्लेषण पर आधारित भविष्य की सुरक्षा का उपाय बताती एक प्रतीक कथा ) - Dr. Anwer Jamal
बहुत सही कहा आपने | और वैसे भी कहा जाता है की आप एक अच्छे लेखक तब तक नहीं बन सकते जब तक आप अच्छे रीडर नहीं बनते | जितना अच्छा पढेंगे उतना ही अच्छा लिखेंगे | और आपकी पोस्ट इस बात का पूर्णतः समर्थन कर रही है |
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