Saturday, May 21, 2011

'अपने दोनों हाथ में लडडू रखता है बड़ा ब्लॉगर' The complicated game

'बड़ा ब्लॉगर अपने दोनों हाथ में लडडू रखता है।'
बड़ा ब्लॉगर अपने समर्थकों के सहयोग से आगे बढ़ता है और अपने विरोधियों की छाती और उनके कंधों पर चढ़ता है । दोस्तों से काम तो दुनिया लेती है लेकिन विरोधियों की ऊर्जा को इस्तेमाल एक बड़ा ब्लॉगर ही कर सकता है । वह अपने समर्थन में लिखी गई पोस्ट को हिट करता और करवाता है और अपने विरोध में लिखी गई पोस्टों को भी। यहाँ तक कि उसके विरोधी उसके प्रचारक मात्र बनकर रह जाते हैं । जब कोई उसका विरोध नहीं करता तो बड़ा ब्लॉगर फ़र्ज़ी ब्लॉग बनाकर अपना विरोध स्वयं करता है । उस ब्लॉग पर प्रायः अन्य विरोधी ही टिप्पणी करते हैं और इस तरह वह अपने विरोधियों को चिन्हित कर लेता है और उनके इलाज पर उचित ध्यान देता है ।
ब्लॉग जगत में कोई नहीं जानता कि किस ब्लॉग से अपना विरोध वह स्वयं कर रहा है और किस ब्लॉग से सचमुच ही विरोध हो रहा है । इस तरह विरोधियों के विरोध की धार कुंद हो जाती है और उसे केवल प्रचार मिलता रहता है।

ऐसा करके वह अपने विरोधियों को पसोपेश में डाल देता है । अगर वे अपना विरोध बंद करते हैं तो वह निर्विरोध हो जाएगा जैसे कि दूसरे हैं और अगर उसका विरोध बदस्तूर जारी रखा जाए तो भी उसे प्रचार मिल रहा है ।
विरोधी ब्लॉगर जो भी करेगा वह बड़े ब्लॉगर का केवल फ़ायदा ही करेगा ।
एक बड़ा ब्लॉगर ऐसा सोचता है । आप भी ऐसे सोचेंगे तो बहुत जल्द आप भी एक बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।

3 comments:

समयचक्र said...

बात बिल्कुल दुरस्त है ... सहमत हूँ .

Rajesh Kumari said...

bada blogger banne ke liye yese hathkande bhi log apnaate hain heraani hui jaankar.lekin mera kahna to ye hai ki kaam bolta hai der se hi sahi.baaki jaise anuroop pratikirya ka swagat karte hain veise hi pratiroop pratikriya ka bhi swagat karna chahiye.achcha lekh likha hai aapne,jaankari mili.aabhar.

Ayaz ahmad said...

सत्य वचन