'झूठ के नाख़ून अभी इतने लंबे नहीं हुए कि वह सच का चेहरा नोच सके।'
पहले तो आप यह डायलॉग पढ़िए और बताइये कि यह डायलॉग आपको कैसा लगा ?
यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं है । इसे हमने अभी अभी लिखा है ।
अब आपकी आज की क्लास शुरू करते हैं ।
बड़ा ब्लॉगर सच के लिए लड़ता है और वह झूठ के दावेदारों को ढेर कर देता है। बड़े बड़े मुंह की खाकर , मुँह छिपाकर और दुम दबाकर भाग लेते हैं । ये सभी बीच चौराहे पर नंगे हो चुके हैं । इनकी नाक कट चुकी है । अपनी इज़्ज़त गंवाने वाले ये ब्लॉगर दिल में ख़ार खाए बैठे रहते हैं । ऊपरी दिल से ये पोस्ट पर आते भी हैं और सराहते भी हैं लेकिन इनके अहंकार का ज़ख़्मी साँप अंदर ही अंदर फुंकारता रहता है । बड़ा ब्लॉगर भी इनकी टिप्पणियों के बदले में आभार प्रकट करता रहता है लेकिन उसे पता है कि जो शत्रु डर कर, हार कर या असहाय हो कर संधि करता है वह कुछ समय बाद शक्ति अर्जित करके पलट कर हमला ज़रूर करता है ।
वह उस हमले को ठीक उसी दिन जानता है जिस दिन शत्रु उसके सामने संधि का प्रस्ताव रखता है ।
बड़ा ब्लॉगर मनु स्मृति , चाणक्य नीति , विदुर नीति, रामायण, महाभारत , भृतहरि शतकं , पंचतंत्र , हितोपदेश और गीता सब कुछ पढ़े हुए होता है । इन सभी में शत्रु का मनोविज्ञान और उसकी चालबाज़ियों का पूर्ण विवरण मौजूद है । कोई भी शत्रु इनमें वर्णित चालबाज़ियों से हटकर कोई नई चालबाज़ी हरगिज़ नहीं कर सकता। सभी संभावित चालों को बड़ा ब्लॉगर जानता है और अपने दुश्मनों को भी वह पहचानता है । शिखंडी को भी वह चिन्हित कर लेता है।
वह जानता है कि इंजीनियर अब उसके लिए लाक्षागृह नहीं बनाएगा । कोई भी बूढ़ा दुश्मन उस पर सीधे हमला नहीं करेगा और दूर बैठे दो चार अधेड़ नास्तिक भी कुछ करने में समर्थ नहीं हैं ।
बस वे अपनी फ़र्ज़ी आई डी से कुछ कमेंट करके यही जता सकते हैं कि आप जिस शहर में रहते हैं वह बुलंद है और आपके कंधों पर तीन शेर ग़ुर्रा रहे हैं ।
दूर से वे मात्र इतना ही जान पाते हैं और समझते हैं कि इसे तो हम नियमावली दिखा कर ही दबा लेंगे लेकिन अगर वे इंजीनियर से संपर्क करें तो उन्हें पता चल जाएगा कि इस ऊँचे शहर का MLA कौन है और कैसा है ?
कोई शहर ऐसा नहीं है जहाँ उसके आदमी न हों । जिसने उसे न देखा हो वह अमिताभ बच्चन की सरकार देख ले या हॉलीवुड की गॉड फ़ादर।
मालिक का नाम बड़े ब्लॉगर को हरेक से आदर दिलाता है , पुलिस से भी और डॉन से भी । हरेक उससे पूछता है कि कोई काम हो तो बताओ ।
बड़ा ब्लॉगर उन्हें क्या काम बताए ?
कोई झगड़ा रीयल वर्ल्ड में जब है ही नहीं तो उन्हें आख़िर क्या काम बताया जा सकता है ?
बड़ा ब्लॉगर ब्लॉगवन में शेर होता है तो सच की दुनिया में हाथी।
हाथी मेरे साथी ।
वे सभी फ़िल्में अच्छी हैं जो कुछ न कुछ अच्छा दिखाती हैं और अंत में ज़ालिम की ज़िल्लत भरी मौत पर ही ये फ़िल्में ख़त्म होती हैं ।
10 comments:
bhaijan sahamat hun ,agat sdher samane se hamala karta hai ...blog me sirf likhakar sher nahin bana ja sakata hai ...
agat sdhe type ho gaya hai kripya sudhar kar sirf sher padha jaye...
abhaar
@ महेन्द्र जी ! आपसे सबसे पहले डॉयलाग के बारे में पूछा गया था, जो पूछा गया था वह तो आपने बताया बताया नहीं और जो पूछा नहीं वह आप बताकर चले गए।
अब जो कोई भी आए वह पहले यह बताए कि डॉयलाग कैसा लगा ?
हिंदी ब्लॉगिंग का स्तर गिरा रही है हमारी वाणी , हम तो चले और अब जो जी में आए करो बाबा !!! - Dr. Anwer Jamal
सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी पोस्ट विचारणीय है।
aap jaisa pyra laga......katilana....
केवल डायलॉग ही नहीं नहीं पूरी पोस्ट दमदार है सर | एक छोटा सा डायलॉग मेरा भी ' खरोंचे तो वो मरते हैं जो पिंजरों मे क़ैद होते है आजाद उड़ने वाले परिंदे न तो खरोंचे मारते हैं और नहीं खरोंचों से डरते हैं ' |
@ कृति जी ! आप पहली पाठिका हैं जिन्होंने इस लेख को न केवल पढ़ा बल्कि एक शानदार डायलॉग के जवाब में ठीक वैसा ही शानदार डायलॉग भी रच डाला।
अद्भुत है आपकी सोच !
शुक्रिया !
‘हमारी वाणी‘ नाम रखा था जनाब उमर कैरानवी साहब ने
जमाल जी को साहित्याभिवादन
आपका डायलाग तो बहुत ही उम्दा है पढ़ कर मजा ही आ गया यह लेख तो सचमुच कमाल है, आपके कलम में तो जैसे जादू है बधाई हो आपको
आपसे एक चाहत थी की आप हमें भी अपमी ब्लाग की सदस्यता के साथ साथ ब्लाग पोस्ट करने की अनुमति प्रदान करे हमें लिंक दे कर इसी आशा के साथ
आपका अपना अनुज ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
www.neelkamalkosir@gmail.com
इसे कहते है दमदार पोस्ट
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