'बोलने और लिखने का मक़सद होता है सत्य की गवाही देना' या हम कह सकते हैं कि होना चाहिए। ब्लॉग लिखा जाए या कुछ और , जो कुछ भी लिखा जाए इसी मक़सद के तहत लिखा जाए। एक बड़ा ब्लॉगर ऐसा मानता है। सत्य में प्रबल आकर्षण शक्ति होती है और इसे हरेक आत्मा पहचानती है। लिहाज़ा जो सत्य को अपने लेखन की बुनियाद बनाता है। वह अनायास ही लोकप्रियता के सोपान चढ़ता चला जाता है । इतना ही बल्कि वह अपनी विजय का सामान भी जुटा लेता है क्योंकि 'सत्यमेव जयते' कोई कहावत नहीं है बल्कि एक नियम है जिसे कहावत में बयान किया गया है। जीतने वाली चीज़ है सत्य और आपको इस धरती पर सत्य का साक्षी बनाकर पैदा किया गया है अर्थात आपको जीतने के लिए ही पैदा किया गया है । विजय उल्लास , ऐश्वर्य और आनंद सब कुछ साथ लाती है लेकिन इस विजय के लिए इंसान को दूसरों से नहीं बल्कि अपने आप से लड़ना पड़ता है । अपने खिलाफ़ खुद खड़ा होना पड़ता है। जो आदमी खुद अपने खिलाफ खड़ा हो सकता है । वही निष्पक्ष होकर विचार कर सकता है और अपनी गलती के ग़लत और दूसरे के सही को सत्य कह सकता है। अपने मिथ्या अभिमान को जीतने और सत्य को पाने वाला आदमी यही होता है । अब अगर आप सत्य को सामने लाते हैं तो आप अपने जन्म के मक़सद को पूरा करते हैं और अगर आप अपनी रीयल फ़ीलिग्स के ख़िलाफ़ लिखते हैं तो अपनी आत्मा का हनन करते हैं । आप चाहें या न चाहें लेकिन अपने हरेक अमल के ज़रिये या तो आप अपना विकास कर रहे हैं फिर अपनी आत्मा का हनन।
बड़ा ब्लॉगर कहलाने का हक़दार वह है जो अपनी आत्मा का हनन कभी नहीं करता। वह सदा सत्य ही लिखता है।
वह पोस्ट भी लिखता है और टिप्पणी भी, जो भी लिखता है सत्य ही लिखता है। कभी वह टिप्पणी को पोस्ट बना देता है और ऐसा वे भी करते रहते हैं जो कि बड़े ब्लॉगर वास्तव में नहीं होते लेकिन कभी कभी बड़ा ब्लॉगर दूसरों के ब्लॉग पर अपनी टिप्पणी को भी एक पोस्ट का रूप दे देता है और दूसरे ऐसा नहीं कर पाते।
इससे बड़े ब्लॉगर को भी लाभ होता है और उस पोस्ट को भी जिस पर कि वह टिप्पणी करता है। उस पोस्ट पर अब दिल से निकली हूई टिप्पणियाँ आने लगती हैं। उसकी टिप्पणियाँ Thougqt provoking होती हैं। चिंतन की ठप्प पड़ी प्रक्रिया को चालू करना ही उसका मक़सद होता है। इसीलिए उसकी टिप्पणियाँ अद्भुत हुआ करती हैं।
कोई नहीं जानता कि किस पोस्ट या टिप्पणी में किस मुद्दे को उठाकर वह किसे और कब झिंझोड़ डाले ?
इस प्रकार वह एक सस्पेंस बनाए रखता है जिससे उसकी पोस्ट और टिप्पणियों के लिए सभी ब्लॉगर्स की उत्सुकता सदा बनी रहती है चाहे वे उसके समर्थक हों या फिर उसके विरोधी। उसके विरोधी उस पर निगरानी रखने की नीयत से उसकी पोस्ट और टिप्पणियाँ पढ़ते हैं लेकिन वे नहीं जानते कि हल्के हल्के Data उनके mind में ट्रांसफ़र हो रहा है और वे क्रमिक रूप से प्रबुद्ध होते जा रहे हैं और एक समय वह आएगा जब उनकी चेतना का विकास इतना हो जाएगा कि वे भी बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे अर्थात वे भी सत्य के साक्षी बन जाएँगे।
अतः हम कह सकते हैं कि बड़ा ब्लॉगर वह है जो सत्य के सांचे में खुद के साथ साथ दूसरों को भी ढालता रहता है , धीरे-धीरे और खेल-खेल में । याद रहे कि खेल इंसान को पसंद है और धीरे-धीरे प्रकृति का स्वभाव और उसका नियम है। बड़ा ब्लॉगर वह है जिसे मनुष्य के स्वभाव और प्रकृति के धर्म , दोनों का ज्ञान होता है। इंसान को बड़ा बनाने वाली चीज़ ज्ञान है। यह बात एक ब्लॉगर पर भी लागू होती है।
3 comments:
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ...
@ महेन्द्र मिश्र जी ! हमारी खुशक़िस्मती है कि आपको यह रचना पसंद आई ।
शुक्रिया !
बहुत उम्दा पोस्ट
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