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http://pyarimaan.blogspot.com/2011/03/mother-urdu-poetry-part-2.html |
आप पाएंगे कि इस आभासी दुनिया में भी वे ही सब चीज़े आदमी को बड़ा बनाती हैं जो कि सचमुच की दुनिया में आदमी का क़द ऊँचा करती हैं। कुछ लोग दौलत के बल पर बड़ाई के दावेदार होते हैं जबकि कुछ सच्चाई और नेकी के बल पर सचमुच में बड़े बनते हैं। आज के दौर में दौलतमंद बनने के लिए इंसान को ईमानदारी और इंसानियत की बलि प्रायः देनी पड़ती है। इंसानियत से गिरने के बाद जब आदमी खुद अपनी ही नज़र में गिर चुका होता है तब वह दुनिया की नज़र में ऊँचा उठने की कोशिशें करता है। इन्हीं कोशिशों में वह अपने बच्चों की महंगी शादियाँ ऊँचे होटलों में करता है, जहाँ वे शराब पीकर बदमस्त होकर नाचते हैं और उस वक्त ग़रीब बच्चे अपने सिरों पर रौशनी के हन्डे उठाए उनकी हराम की दौलत का नंगा नाच देख रहे होते हैं।
ब्लॉगर मीट भी इसी तर्ज़ का एक प्रोग्राम होता है जिसमें हज़ारों रूपये का ख़र्च आता है, जिसे उठाना हरेक के बस की बात नहीं होती। जो कोई व्यक्ति या गुट इसका ख़र्च उठाता है वह खुद ब खुद उन ब्लॉगर्स का माई बाप बन जाता है जो वहाँ बिना कुछ दिए ही मुफ़्त में नाश्ता भंभोड़ रहे होते हैं। जो आपको नाश्ता कराता है वह खुद को बड़ा बनाता है और आपको छोटा। अगर आप बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो आपको भी एक बड़ी ब्लॉगर मीट करनी होगी और मात्र एक मीट आयोजित करते ही आप एकदम बड़े ब्लॉगर मान लिए जाएंगे और आपकी बेकार पोस्ट पर भी ढेर सारी टिप्पणियाँ आने लगेंगी।
आप देखेंगे कि बड़े ब्लॉगर्स के पास कुछ ख़ास ज़रूर होता है जैसे कि कोठी, कार और कुत्ते।
फ़िल्म में विलेन के पास भी यही सब होता है। फ़िल्म विलेन से ही चलती है। विलेन की कोठी जितनी बड़ी होती है और उसके पालतू जितने ज़्यादा होते हैं वह उतना ही बड़ा विलेन होता है। बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए भी आपको इन्हीं सब चीज़ों की दरकार है। कैसे भी आप कार, कोठी और कुत्ते जुटा लीजिए, डैफ़िनिटली आप एक बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।
अगर आप ये दोनों काम करने की हैसियत नहीं रखते तब भी कोई बात नहीं है। हम आपको तब भी बड़ा ब्लॉगर बनने का एक सूत्र बता सकते हैं।
याद कीजिए सलीम-जावेद लिखित फ़िल्म ‘दीवार‘ के उस सीन को जिसमें अमिताभ बच्चन शशि कपूर से कहता है कि ‘मेरे पास दौलत है, कोठी है, कार है, तुम्हारे पास क्या है ?‘
शशि कपूर कहता है ‘मेरे पास माँ है।‘
बस यही एक डायलॉग अमिताभ बच्चन जैस सुपर स्टार के घुटने तोड़ देता है और फिर उसकी मौत बता देती है कि उसका रास्ता ग़लत था। आप भी दीवार पर चढ़ जाइए और देखिए कि बड़े ब्लॉगर के पास चाहे कोठी, कार और कुत्ते भले ही हों लेकिन उनके पास माँ नहीं होगी। आपके पास माँ है तो आप एक सफल ब्लॉगर बन सकते हैं। यह मेरे अनुभव से सिद्ध है इसलिए यह सत्य है और व्यंग्य तो ख़ैर यह है ही।