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आप पाएंगे कि इस आभासी दुनिया में भी वे ही सब चीज़े आदमी को बड़ा बनाती हैं जो कि सचमुच की दुनिया में आदमी का क़द ऊँचा करती हैं। कुछ लोग दौलत के बल पर बड़ाई के दावेदार होते हैं जबकि कुछ सच्चाई और नेकी के बल पर सचमुच में बड़े बनते हैं। आज के दौर में दौलतमंद बनने के लिए इंसान को ईमानदारी और इंसानियत की बलि प्रायः देनी पड़ती है। इंसानियत से गिरने के बाद जब आदमी खुद अपनी ही नज़र में गिर चुका होता है तब वह दुनिया की नज़र में ऊँचा उठने की कोशिशें करता है। इन्हीं कोशिशों में वह अपने बच्चों की महंगी शादियाँ ऊँचे होटलों में करता है, जहाँ वे शराब पीकर बदमस्त होकर नाचते हैं और उस वक्त ग़रीब बच्चे अपने सिरों पर रौशनी के हन्डे उठाए उनकी हराम की दौलत का नंगा नाच देख रहे होते हैं।
ब्लॉगर मीट भी इसी तर्ज़ का एक प्रोग्राम होता है जिसमें हज़ारों रूपये का ख़र्च आता है, जिसे उठाना हरेक के बस की बात नहीं होती। जो कोई व्यक्ति या गुट इसका ख़र्च उठाता है वह खुद ब खुद उन ब्लॉगर्स का माई बाप बन जाता है जो वहाँ बिना कुछ दिए ही मुफ़्त में नाश्ता भंभोड़ रहे होते हैं। जो आपको नाश्ता कराता है वह खुद को बड़ा बनाता है और आपको छोटा। अगर आप बड़ा ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो आपको भी एक बड़ी ब्लॉगर मीट करनी होगी और मात्र एक मीट आयोजित करते ही आप एकदम बड़े ब्लॉगर मान लिए जाएंगे और आपकी बेकार पोस्ट पर भी ढेर सारी टिप्पणियाँ आने लगेंगी।
आप देखेंगे कि बड़े ब्लॉगर्स के पास कुछ ख़ास ज़रूर होता है जैसे कि कोठी, कार और कुत्ते।
फ़िल्म में विलेन के पास भी यही सब होता है। फ़िल्म विलेन से ही चलती है। विलेन की कोठी जितनी बड़ी होती है और उसके पालतू जितने ज़्यादा होते हैं वह उतना ही बड़ा विलेन होता है। बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए भी आपको इन्हीं सब चीज़ों की दरकार है। कैसे भी आप कार, कोठी और कुत्ते जुटा लीजिए, डैफ़िनिटली आप एक बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।
अगर आप ये दोनों काम करने की हैसियत नहीं रखते तब भी कोई बात नहीं है। हम आपको तब भी बड़ा ब्लॉगर बनने का एक सूत्र बता सकते हैं।
याद कीजिए सलीम-जावेद लिखित फ़िल्म ‘दीवार‘ के उस सीन को जिसमें अमिताभ बच्चन शशि कपूर से कहता है कि ‘मेरे पास दौलत है, कोठी है, कार है, तुम्हारे पास क्या है ?‘
शशि कपूर कहता है ‘मेरे पास माँ है।‘
बस यही एक डायलॉग अमिताभ बच्चन जैस सुपर स्टार के घुटने तोड़ देता है और फिर उसकी मौत बता देती है कि उसका रास्ता ग़लत था। आप भी दीवार पर चढ़ जाइए और देखिए कि बड़े ब्लॉगर के पास चाहे कोठी, कार और कुत्ते भले ही हों लेकिन उनके पास माँ नहीं होगी। आपके पास माँ है तो आप एक सफल ब्लॉगर बन सकते हैं। यह मेरे अनुभव से सिद्ध है इसलिए यह सत्य है और व्यंग्य तो ख़ैर यह है ही।
11 comments:
अनवर भाई मेरे पास माँ भी है और बहन भी !
LBA पर माँ समान रेखा जी और AIBA पर बहन समान वंदना जी !!!
तो फिर आप एक बड़े ब्लौगर ही नहीं एक नेक इन्सान भी बन सकते हैं .
बहन आदमी को बुराई से रोकती है और उसे ज़िम्मेदार बनाती है , मेरे चार बहनें हैं .
हुआ न आपसे बढ़कर बल्कि बहुतों से बढ़कर .
जी मैं ऐसी मीट नहीं करवा सकती...
रही बात अमिताभ बच्चन जी की तो वो बिग बोंस हैं... उनको चलेगा...
हम लोग तुच्छ प्राणी... सिर्फ सोचते ही रहते हैं कि आख़िर हमारे पास है क्या???
@ पूजा जी ! अगर आपके पास माँ है और आप उससे मीठी मीठी मीट करती हैं तो फिर आपको किसी आलतू फालतू मीट की कोई ज़रूरत ही कहाँ है ?
dr sahab ,
blog jagat ke satyon ko janne ke liye vakai aapki post se jude rahna bahut zaroori hai.aur yahan hi kya dhan daulat to sari duniya me apna sikka jamaye baithe hain aaj hi kya hamesha se dhanvanon ke dosh unke dhan ke neeche dab gaye aur pap poorn karya karke bhi ve sabse oonche ban gaye.
sath hi maa ke vishay me aapke vichar bahut sarahniy hain.
सटीक और सार्थक व्यंग ! बधाई एवं शुभकामनायें !
@ साधना जी ! प्रायः लोग बचते हैं मेरी पोस्ट पर कमेन्ट देने से , न जाने क्यों ?
बच्चों को नुमाईश दिखाने के बाद लौटकर पाया कि आपने चंद मिनटों में ही मेरी दो पोस्ट्स पर कमेन्ट दे दिए .,
किस मुंह से मैं आपका शुक्रिया अदा करूँ ?
'जियो क्योंकि हमारा मालिक चाहता है कि अभी हम जियें.' How to stop suicidial tendency
@ शालिनी जी ! आप तो इस यूनिवर्सिटी की बाकायदा स्टूडेंट हैं , आपके लिए ही तो हम लिखते हैं .
याद रखिये कि ग़ुरबत में जो ताक़त है वह दौलत में हरगिज़ नहीं होती. ग़रीब के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता.
इसलिए वह निर्भय होता है. हमें अपने जीवन में अपने हरेक पहलू की ताक़त को पहचानना होगा तभी हम उससे काम ले सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं .
जिनके पास दौलत कम है वे अधिसंख्या में हैं . कम-धन वर्ग को चाहिए कि अपने वर्ग के ब्लॉगर्स को सपोर्ट करे. इस तरह सभी एक दूसरे को सपोर्ट करेंगे तो सभी आगे बढ़ेंगे.
आपकी सराहना और आपकी तस्दीक के लिए आपका शुक्रिया.
शशि कपूर के इस कालजयी डॉयलाग...मेरे पास मां है...का जवाब ढ़ूंढते-ढ़ूंढते अमिताभ बच्चन को 34 साल लग गए....
और फिर उन्होंने जवाब दिया...मेरे पास 'पा' है...
जय हिंद...
anvr bhaai kmala kaa likhaa he bhai yeh aek doktr ki khoj he or jmal kaa kmaal he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
@ आदरणीय खुशदीप जी ! अमिताभ बच्चन को तो जवाब तलाशने में 34 साल लग गए लेकिन हमारे 34 ब्लॉग्स में से किसी एक पर टिप्पणी करने में आपको डेढ़ साल क्यों लग गया ?, जबकि आप एक बड़े ब्लॉगर भी हैं और ब्लॉगर्स के 'मार्गदर्शक' भी.
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