Monday, April 4, 2011

क्या बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए नास्तिक होना ज़रूरी है ? A Nice Question

आपमें भी बड़ा ब्लॉगर बनने की उतनी ही संभावना मौजूद है जितनी कि उन ब्लॉगर्स में थी जो पहले छोटे थे और आज बड़े बन चुके हैं। अगर आप ग़ौर करेंगे तो आप पाएंगे कि उन्होंने कुछ नियमों का पालन किया है और उसी का नतीजा यह है कि आज वे बड़े ब्लॉगर कहलाते हैं।
आप देखेंगे कि एक बड़ा ब्लॉगर किसी न किसी आदर्श और सिद्धांत का पालन ज़रूर करता है। इन सिद्धांतों में से उनका एक सिद्धांत है बहुमत के साथ रहना। आज के बहुमत का विश्वास ईश्वर, धर्म और गुरूओं से डिगा हुआ है। ऐसी हालत में ये खुद को नास्तिक शो करते हैं या बन ही जाते हैं। आस्तिक ब्लॉगर को वर्चुअल दुनिया में बैकवर्ड समझा जाता है जबकि नास्तिक होना समय का रिवाज है। आस्तिक को सत्तर तरह के प्रश्नों के जवाब देने पड़ते हैं जबकि नास्तिक से कोई प्रश्न ही नहीं किया जा सकता क्योंकि वह जीवन की बुनियादी बातों को विचार करने लायक़ तक नहीं समझता। करोड़ों आस्तिकों के विचार नैतिकता और जायज़-नाजायज़ के बारे में एक हो सकते हैं लेकिन दो नास्तिकों के विचार भी इस मामले में एक नहीं हो सकते। इसके बावजूद नास्तिक समझते हैं कि अगर उनकी बात मान ली जाए तो देश का कल्याण हो सकता है। आज नास्तिकता भी एक विचारधारा के रूप में हमारे दरम्यान मौजूद है। नास्तिक ब्लॉगर शराब पीता है और फ़ेसबुक के प्रोफ़ाइल में बेधड़क खुद को ‘इंटरेस्टेड इन वुमेन‘ शो करता है। इनका यही सिद्धांत है और ये इसका कट्टरता से पालन करते हैं। कभी अपनी नास्तिकता से इंच भर नहीं हटते लेकिन आस्तिक ब्लॉगर्स पर इल्ज़ाम लगाते रहते हैं कि ये बहुत कट्टर हैं देखो ये अपनी मान्यताओं से नहीं हटते।
अगर आप एक नास्तिक ब्लॉगर हैं तो आपको बुद्धिजीवी का तमग़ा बड़ी आसानी से मिल जाएगा और नास्तिक ब्लॉगर आपको टिप्पणियां भी देने आने लगेंगे। जब बड़े आने लगेंगे तो जो खुद को ज़बर्दस्ती छोटा बनाए हुए हैं, वे भी उनकी देखा देखी आने लगेंगे और आपकी गाड़ी चल पड़ेगी। कोई ब्लॉगर आपके घर यह देखने नहीं आएगा कि जब आपने खुद विवाह किया था तो पूरे धार्मिक रीति-रिवाज के साथ किया था। आज भी आपकी पत्नी गले में मंगलसूत्र और सुहाग चिन्ह धारण करती है और जब आपने अपने बच्चों की शादी की, तब भी आपने पूरे धार्मिक कर्मकांड किए।
ऐसा आपने क्यों किया ? यह आपसे कोई कभी पूछने वाला नहीं है। धार्मिक रीति रिवाज भी करते रहिए ताकि समाज के ताने-उलाहने न सुनने पड़ें और फिर कह दीजिए कि भाई यह सब तो हमारी मिसेज़ की मेहरबानी है वर्ना हम तो इन सब चक्करों में पड़ते ही नहीं। इसे कहते हैं कि ‘रिन्द के रिन्द रहे और जन्नत हाथ से न गई‘।
क्या कह रहे हैं आप ?
रिन्द किसे कहते हैं ?
अरे भाई रिन्द कहते हैं शराबी को।
इसका मतलब है दोनों हाथों में लड्डू रखना।
बड़े ब्लॉगर की यह एक ख़ास हिकमत होती है।
अगर आप नास्तिक नहीं बन सकते तो फिर आपको अपनी आस्था टटोलनी चाहिए और अपना अमल देखना चाहिए। अगर आप नास्तिक नहीं हैं तो आपको अनिवार्य रूप से आस्तिक होना चाहिए। जब आप किसी शिक्षा और परंपरा में आस्था रखते होंगे तो लाज़िमन रूप से किसी न किसी को अपना गुरू भी मानते होंगे और उसकी शिक्षा के अनुसार कुछ बातों को ग़लत और कुछ को सही भी ज़रूर मानते होंगे। अब आपका पहला कर्तव्य यह है कि आपके कर्म आपके विचारों के मुताबिक़ हों या दोनों के दरम्यान अंतर बहुत ज़्यादा न हो। जिस बात को आप ग़लत मानते हों, उससे बचते भी हों और दूसरों को भी बचने की प्रेरणा देते हों और जिस बात को आप अच्छा मानते हों, उसे खुद भी करते हों और दूसरों को भी करने की प्रेरणा देते हों। आपके विचार और कर्म में अंतर जितना कम होगा आप उतने ही बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।
आप नास्तिक हों तो सच्चे हों और अगर आस्तिक हों तो भी आप सच्चे हों। सच में बड़ी ताक़त है। आप सच्चाई में जितना ज़्यादा बड़ा दर्जा रखेंगे, आपकी योग्यताओं का विकास भी उतना ही ज़्यादा होता चला जाएगा और एक दिन आपको आपकी सच्चाई परम सत्य तक भी पहुंचा देगी। जो पाखंडी हैं वे कहीं नहीं पहुंचेगे क्योंकि उनके फ़ैसलों का आधार सत्य नहीं होता बल्कि बहुमत होता है। पाखंडी कभी बहुमत के खि़लाफ़ नहीं जा सकता। बहुमत के खि़लाफ़ केवल वह बोलेगा जो सच्चा है। पाखंडी अवसरवादी होता है। वह कभी कुरबानी नहीं दे सकता।
आपके सामने दोनों रास्ते हैं। आप पाखंडी बनकर भी बहुजन से टिप्पणियां और प्रशंसा पा सकते हैं और यही सब आपको सच्चा बनकर भी मिल सकता है और न भी मिले तब भी आप अपनी आत्मा में संतुष्ट रहेंगे कि मैं वही लिखता हूं जो कि मैं सोचता हूं। ‘डायरी लेखन‘ इसी का नाम है। इसी को ब्लॉग लेखन भी कहा जाता है।
आज लोग जो सोचते हैं, उसी के खि़लाफ़ करते हैं और लोगों को खुश रखने के लिए उसी के खि़लाफ़ लिखते और बोलते हैं। अगर आप विचार और कर्म के इस अंतर को पाट सके तो यह एक बड़ा काम होगा और आपका बड़ा काम ही इस बात का सुबूत खुद होगा कि

4 comments:

Learn By Watch said...

आपको अपना ब्लॉग की तरफ से मेल भेजा गया है पर आपकी तरफ से कोई जबाब नहीं आया है

अपना ब्लॉग नियमावली

इस लिंक पर क्लिक करें और जल्द से जल्द जबाब दें अन्यथा आप 10 अप्रैल के बाद निरर्थक बहस शुरू कर देंगे

आकाश सिंह said...

बड़े ब्लोगर बनने के लिए मेरे समझ से इन्सान को नास्तिक होना कोई जरुरी नही है| इन्सान अपनी विचारों से बड़ा या छोटा होता है ये कोई जरुरी नही की २००० लोगों की फलोवर लिस्ट हो| मेरे समझ से बड़ा ब्लोगर वही है जो लोगों के पोस्ट पे अर्थपूर्ण कमेन्ट दे|
आभार के साथ - आकाश सिंह

आकाश सिंह said...

यहाँ भी आयें|
आपकी टिपण्णी से मुझे साहश और उत्साह मिलता है|
कृपया अपनी टिपण्णी जरुर दें|
यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com

DR. ANWER JAMAL said...

@ आकाश जी ! आपका ब्लॉग पसंद आया और हम आपको HBFI का सदस्य बनने हेतु आमंत्रित करते हैं.
http://hbfint.blogspot.com/2011/04/best-wishes.html

अपनी email id भेज दीजिये
eshvani@gmail.com