चिंता करना बड़े ब्लॉगर का मुख्य लक्षण होता है। इस विषय में पिछली क्लास में आपको बताया जा चुका है। आज आपको यह बताया जाएगा कि किस शैली का हिंदी ब्लॉगर किस जगह पर ज़्यादा चिंता करता है ?
पिछले कुछ समय से हिंदी ब्लॉगिंग में मेंढक शैली का विकास बड़ी तेज़ी से हुआ है और इनमें भी कुछ ब्लॉगर बड़े माने जाते हैं। उदार मानवीय दृष्टिकोण से रिक्त होने के बावजूद चिंता करने का गुण इस शैली के बड़े ब्लॉगर्स में भी समान रूप से पाया जाता है। अंतर केवल यह है कि मनुष्य के सहज स्वभाव से आभूषित हिंदी ब्लॉगर तो किसी भी समय और किसी भी जगह चिंता कर सकता है लेकिन मेंढक शैली का बड़ा ब्लॉगर सदैव किसी ब़ड़ी और आलीशान जगह पर ही चिंता किया करता है।
मिसाल के तौर पर उसे अरण्डी के घटते हुए पौधों की चिंता करनी है या लुप्त होते हुए गिद्धों के बारे में चिंता करनी है तो ऐसा नहीं है कि वह एकाएक ही चिंतित हो उठे।
नहीं, वह मनुष्यों की तरह ऐसा नहीं करेगा।
पहले वह अपनी आलीशान कार से किसी आलीशान से पार्क, क्लब या हॉल-मॉल में जाएगा और फिर वहां की सबसे आलीशान जगह खड़े होकर सोचेगा कि इस बिल्डिंग को बनाने के लिए अरण्डी के कुल कितने पौधे काट दिए गए होंगे।
इस तरह से वह सच्चाई को प्रत्यक्ष तौर पर सबके सामने ले आता है।
इस तरह एक तरफ़ तो ब्लॉग जगत के सामने उसके चिंतन की गहराई आ जाती है और दूसरी तरफ़ उसके स्टेटस की ऊंचाई और उसकी जेब की मोटाई भी दिखाई देती है।
बड़ा ब्लॉगर वह होता है जो एक पंथ से कई काज एक साथ करता है।
यह बात भी पिछली क्लास में आपको बताई जा चुकी है।
इससे एक फ़ायदा यह भी होता है कि शान टपकाऊ सोच के अन्य ब्लॉगर्स भी वहां आ जुड़ते हैं और इतनी टिप्पणियाँ देते हैं कि बैठे बिठाए स्नेह और प्यार का एक अच्छा सा माहौल बन जाता है।
यह स्नेह और प्यार मालदारों का , मालदारों के द्वारा और केवल मालदारों के लिए ही होता है।
बड़ा ब्लॉगर अपने बच्चों के शादी ब्याह के लिए हैसियतदार मेहमानों का जुगाड़ भी यहीं से कर लेता है। किराये के मेहमानों का चलन अभी हमारे मुल्क में आम नहीं हुआ है। पहले तो शादी ब्याह में खाना घराती ही अपने हाथ से खिलाया करते थे लेकिन अब यह सब व्यवस्था होटल वाले के ज़िम्मे हो चुकी है लेकिन मेहमानों का इंतेज़ाम अभी तक ख़ुद ही करना पड़ता है।
हो सकता है कि आने वाले समय में यह ज़िम्मेदारी भी होटल वाले पर ही डाल दी जाए तब उसकी तरफ से ऑर्डर और पेशगी मिलते ही कोई भी बड़ा ब्लॉगर आसानी से यह काम कर सकता है। लोगों के निजी समारोह में रौनक़ बढ़ाने का काम भी मेंढक शैली के ब्लॉगर्स से लिया जा सकता है। एक प्रकाशक के समारोह में इसका सफल परीक्षण किया ही जा चुका है।
ब्लॉगर मीट के नाम पर सबको जमा कर लिया, दूल्हा दुल्हन वालों की शोभा भी बढ़ जाएगी और आपस का मिलना मिलाना और खाना पीना भी हो जाएगा। ब्लॉगर मीट में अभी तक केवल खाना और खाने के बाद पीना ही हुआ है। खाना और पीना यहां भी हो जाएगा। जो कैश मिलेगा , उसे बड़ा ब्लॉगर बांट भी सकता है और पूरा का पूरा अपनी जेब में भी रख सकता है और तब हिंदी ब्लॉगिंग एक दूध देने वाली गाय बन जाएगी। जब ब्लॉगर्स ज्वलंत मुददों पर समझ में न आने वाले स्टाइल में बात करते दिखेंगे तो पूरे दार्शनिक से दिखेंगे, जिससे कुछ का स्पेशल पेमेंट भी वसूल किया जा सकता है।
मेंढक शैली के बड़े ब्लॉगर की सोच बहुत गहरी होती है। वह सदा कल्याण की बात ही सोचता है, केवल अपने और अपनों के कल्याण की।
लोगों को चाहिए कि वे उस पर शक न किया करें और जिनसे वह अलग रहने के लिए कहे बिना किसी सवाल के उनसे अलग हो जाया करें।
पूरी पॉलिसी हरेक को बता दी जाएगी तो उसकी सीक्रेसी ख़त्म हो जाएगी।
ब्लॉगिंग के उत्साह से भरा हुआ ब्लॉगर तो उनके इशारे से ही सारी बात समझ लेता है और फिर अपनी टिप्पणी में समझाने की कोशिश भी करता है मगर इशारे में ही। दूसरों की समझ में न भी आए तब भी उन्हें मान लेना चाहिए कि बड़ा ब्लॉगर है तो बात भी कुछ बड़ी ही होगी। इससे अपने ब्लॉग पर टिप्पणी भी मिलती रहती है और ब्लॉगर्स मीट में खाने पीने का मौक़ा भी। ज़रा सी भी किंतु परंतु की तो वह समझेगा कि आप उसके कुएं के नहीं हैं।
बहरहाल बात यह हो रही थी कि कितनी ही मामूली चीज़ की चिंता क्यों न की जाए लेकिन जगह आलीशान होनी चाहिए और उसका फ़ोटो भी स्टाइल में ही होना चाहिए। मेंढक शैली का बड़ा ब्लॉगर इन बातों का ख़ास ख़याल रखता है।
पिछले कुछ समय से हिंदी ब्लॉगिंग में मेंढक शैली का विकास बड़ी तेज़ी से हुआ है और इनमें भी कुछ ब्लॉगर बड़े माने जाते हैं। उदार मानवीय दृष्टिकोण से रिक्त होने के बावजूद चिंता करने का गुण इस शैली के बड़े ब्लॉगर्स में भी समान रूप से पाया जाता है। अंतर केवल यह है कि मनुष्य के सहज स्वभाव से आभूषित हिंदी ब्लॉगर तो किसी भी समय और किसी भी जगह चिंता कर सकता है लेकिन मेंढक शैली का बड़ा ब्लॉगर सदैव किसी ब़ड़ी और आलीशान जगह पर ही चिंता किया करता है।
मिसाल के तौर पर उसे अरण्डी के घटते हुए पौधों की चिंता करनी है या लुप्त होते हुए गिद्धों के बारे में चिंता करनी है तो ऐसा नहीं है कि वह एकाएक ही चिंतित हो उठे।
नहीं, वह मनुष्यों की तरह ऐसा नहीं करेगा।
पहले वह अपनी आलीशान कार से किसी आलीशान से पार्क, क्लब या हॉल-मॉल में जाएगा और फिर वहां की सबसे आलीशान जगह खड़े होकर सोचेगा कि इस बिल्डिंग को बनाने के लिए अरण्डी के कुल कितने पौधे काट दिए गए होंगे।
इस तरह से वह सच्चाई को प्रत्यक्ष तौर पर सबके सामने ले आता है।
इस तरह एक तरफ़ तो ब्लॉग जगत के सामने उसके चिंतन की गहराई आ जाती है और दूसरी तरफ़ उसके स्टेटस की ऊंचाई और उसकी जेब की मोटाई भी दिखाई देती है।
बड़ा ब्लॉगर वह होता है जो एक पंथ से कई काज एक साथ करता है।
यह बात भी पिछली क्लास में आपको बताई जा चुकी है।
इससे एक फ़ायदा यह भी होता है कि शान टपकाऊ सोच के अन्य ब्लॉगर्स भी वहां आ जुड़ते हैं और इतनी टिप्पणियाँ देते हैं कि बैठे बिठाए स्नेह और प्यार का एक अच्छा सा माहौल बन जाता है।
यह स्नेह और प्यार मालदारों का , मालदारों के द्वारा और केवल मालदारों के लिए ही होता है।
बड़ा ब्लॉगर अपने बच्चों के शादी ब्याह के लिए हैसियतदार मेहमानों का जुगाड़ भी यहीं से कर लेता है। किराये के मेहमानों का चलन अभी हमारे मुल्क में आम नहीं हुआ है। पहले तो शादी ब्याह में खाना घराती ही अपने हाथ से खिलाया करते थे लेकिन अब यह सब व्यवस्था होटल वाले के ज़िम्मे हो चुकी है लेकिन मेहमानों का इंतेज़ाम अभी तक ख़ुद ही करना पड़ता है।
हो सकता है कि आने वाले समय में यह ज़िम्मेदारी भी होटल वाले पर ही डाल दी जाए तब उसकी तरफ से ऑर्डर और पेशगी मिलते ही कोई भी बड़ा ब्लॉगर आसानी से यह काम कर सकता है। लोगों के निजी समारोह में रौनक़ बढ़ाने का काम भी मेंढक शैली के ब्लॉगर्स से लिया जा सकता है। एक प्रकाशक के समारोह में इसका सफल परीक्षण किया ही जा चुका है।
ब्लॉगर मीट के नाम पर सबको जमा कर लिया, दूल्हा दुल्हन वालों की शोभा भी बढ़ जाएगी और आपस का मिलना मिलाना और खाना पीना भी हो जाएगा। ब्लॉगर मीट में अभी तक केवल खाना और खाने के बाद पीना ही हुआ है। खाना और पीना यहां भी हो जाएगा। जो कैश मिलेगा , उसे बड़ा ब्लॉगर बांट भी सकता है और पूरा का पूरा अपनी जेब में भी रख सकता है और तब हिंदी ब्लॉगिंग एक दूध देने वाली गाय बन जाएगी। जब ब्लॉगर्स ज्वलंत मुददों पर समझ में न आने वाले स्टाइल में बात करते दिखेंगे तो पूरे दार्शनिक से दिखेंगे, जिससे कुछ का स्पेशल पेमेंट भी वसूल किया जा सकता है।
मेंढक शैली के बड़े ब्लॉगर की सोच बहुत गहरी होती है। वह सदा कल्याण की बात ही सोचता है, केवल अपने और अपनों के कल्याण की।
लोगों को चाहिए कि वे उस पर शक न किया करें और जिनसे वह अलग रहने के लिए कहे बिना किसी सवाल के उनसे अलग हो जाया करें।
पूरी पॉलिसी हरेक को बता दी जाएगी तो उसकी सीक्रेसी ख़त्म हो जाएगी।
ब्लॉगिंग के उत्साह से भरा हुआ ब्लॉगर तो उनके इशारे से ही सारी बात समझ लेता है और फिर अपनी टिप्पणी में समझाने की कोशिश भी करता है मगर इशारे में ही। दूसरों की समझ में न भी आए तब भी उन्हें मान लेना चाहिए कि बड़ा ब्लॉगर है तो बात भी कुछ बड़ी ही होगी। इससे अपने ब्लॉग पर टिप्पणी भी मिलती रहती है और ब्लॉगर्स मीट में खाने पीने का मौक़ा भी। ज़रा सी भी किंतु परंतु की तो वह समझेगा कि आप उसके कुएं के नहीं हैं।
बहरहाल बात यह हो रही थी कि कितनी ही मामूली चीज़ की चिंता क्यों न की जाए लेकिन जगह आलीशान होनी चाहिए और उसका फ़ोटो भी स्टाइल में ही होना चाहिए। मेंढक शैली का बड़ा ब्लॉगर इन बातों का ख़ास ख़याल रखता है।
10 comments:
बहुत उपयोगी आलेख लिखा है आपने!
65वें स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
समझने की कोशिश करते है . टिप्पणी बाद में :)
बूढ़े मेढक की उम्दा सोच सारी टर्रर्र ..... :)
आपके दिए टिप्स का ध्यान रखेंगे हम छोटे ब्लॉगर ;)
इक रहेन ईर
इक रहेन बीर
इक रहेन फत्ते
इक रहेन हम
इर कहेन चलो राजा के सलाम कर आइन
बीर कहेन चलो राजा के सलाम कर आइन
फत्ते कहेन चलो राजा के सलाम कर आइन
हम कहेन चलो हमुआ राजा के सलाम कर आइन
इर किए इर सलाम
बीर किए बीर सलाम
फत्ते किए तीन सलाम
हम दिया
ठेंगुवा दिखाइन...
जय हिंद...
मेंढक शैली का बड़ा ब्लॉगर इन बातों का ख़ास ख़याल रखता है। Ha ha ha
pata naheen kyaa kahana hai....
ब्लागर की जेब मोटाई भी हो सकती है, यह हमें पता न था। तो पहले इसके गुर बता दीजिए:)
मेढक शैली का बड़ा ब्लागर ......क्या कहना ! बढ़िया लेख
@ आदरणीय चंद्रमौलेश्वर जी ! बड़े ब्लॉगर की जेब मोटी होती है।
कभी तो ऐसा होता है कि जेब पहले मोटी होती है और इसी के बल पर वह बड़ा बन जाता है और कभी ऐसा भी होगा कि ब्लॉग पर आने वाले पाठक ब्लॉगर की जेब मोटी कर देंगे। अपने ताज़ा लेख में हमने इस ओर भी संकेत किया है, देखिए
डिज़ायनर ब्लॉगिंग के ज़रिये अपने ब्लॉग को सुपर हिट बनाईये Hindi Blogging Guide (26)
यह एक यादगार लेख है जिसे भुलाना आसान नहीं है।
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